breaking tube

लखनऊ: बेवजह गिरफ्तारी करने और महिलाओं, बुजुर्गों व नाबालिगों को थाने में बुलाकर पूछताछ की प्रवृत्ति को लेकर शासन ने सख्त रुख अपनाया है.

इस विषय में डीजीपी डीएस चौहान ने मातहतों को निर्देश दिए हैं कि जब तक किसी मामले में पुख्ता साक्ष्य न हों, संदेह के आधार पर गिरफ्तारी न की जाए.

इन निर्देशों का पालन नहीं करने पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी भी दिया है. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने सात साल से कम सजा वाले मामलों में होने वाली गिरफ्तारी,

पूछताछ के नोटिस आदि को लेकर सभी राज्यों की पुलिस को निर्देश जारी करने और इसका अनिवार्य रूप से पालन कराने को कहा है.

इसके मुताबिक महिलाओं, नाबालिगों, 65 वर्ष से अधिक आयु के लोगों और मानसिक या शारीरिक रूप से निशक्त व्यक्ति को उसके निवास स्थान के अलावा कहीं और पूछताछ के लिए नहीं बुलाया जाएगा.

जांच में यदि कोई संज्ञेय अपराध प्रकट नहीं होता है तो ऐसे व्यक्ति से मजिस्ट्रेट के न्यायालय में हाजिर होने की अपेक्षा नहीं की जाएगी.

यदि किसी व्यक्ति को धारा 41 के तहत नोटिस देकर बुलाया जाता है तो जांच अधिकारी के सामने पेश होने पर वह पावती के लिए अनुरोध कर सकता है.

यदि उसे पुलिस थाने की जगह किसी अन्य स्थान पर बुलाया जाता है तो वहां एक स्वतंत्र साक्षी होना चाहिए. किसी कारणवश वह नियत तिथि पर उपस्थित नहीं होता है तो उसे जांच अधिकारी अधिकतम चार दिन का अतिरिक्त समय दे सकता है.

परिजनों, महिला पुलिस की मौजूदगी जरूरी:

महिलाओं से पूछताछ के लिए थाने पर नहीं बुलाया जाएगा. पूछताछ उसी जगह करनी होगी जहां महिलाएं रहती हैं. इस दौरान परिजनों और महिला पुलिस की उपस्थिति अनिवार्य होगी.

जबकि बच्चों, बुजुर्गों और दिव्यांगों से उसके परिवार के सदस्यों, संरक्षकों अथवा किशोर कल्याण अधिकारियोंं की उपस्थिति में ही पूछताछ की जा सकेगी.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here