वक्त आने दे बता देंगे तुझे ऐ आसमां हम अभी से क्या बताएं क्या हमारे दिल में है?
यह लाइनें उस क्रांतिकारी जिसने देश के लिए अपना सर्वस्व निछावर कर दिया, जिसे आज ही के दिन शहादत होने का सौभाग्य प्राप्त है, इतिहास के पन्नों में पंडित राम प्रसाद बिस्मिल के नाम से दर्ज है.
इसी उपलक्ष में प्रत्येक वर्ष आज ही के दिन 19 दिसंबर, 2020 को पंडित राम प्रसाद बिस्मिल के शहादत दिवस के रूप में मनाया जाता है. आज गुरु कृपा संस्थान द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम जिला कारागार गोरखपुर
के परिसर में आयोजित हुआ जिसे पंडित राम प्रसाद बिस्मिल बलिदानी मेला व खेल महोत्सव के रूप में आयोजित किया गया. जिला कारागार पर धूमधाम के साथ इसका आयोजन किया गया,
जिसमें अखिल भारतीय क्रांतिकारी संघर्ष मोर्चा गोरखपुर उत्तर प्रदेश का विशेष योगदान रहा. इस मौके पर अनेक रंगारंग कार्यक्रम एवं बच्चों के साथ खेल का आयोजन किया गया.
दुकानें और स्टाल कार्यक्रम में अलग ही दृश्य प्रस्तुत कर रहे थे, शहर के संभ्रांत नागरिक, बच्चें तथा महिलाएं बड़ी संख्या में उपस्थित रहीं. कार्यक्रम समिति के लोगों ने बताया कि-”
“मैनपुरी षड़यंत्र व काकोरी कांड के महानायक तथा हिंदुस्तान रिपब्लिक एसोसिएशन के सदस्य रहे राम प्रसाद बिस्मिल जी को 30 वर्ष की आयु में यहीं पर फांसी की सजा दी गई थी.”
पंडित राम प्रसाद बिस्मिल जी का जन्म 11 जून, 1897 और मृत्यु 19 दिसंबर, 1927 को फांसी की सजा के दौरान हुई थी. पंडित राम प्रसाद बिस्मिल को जिला कारागार लखनऊ से 10 अगस्त, 1927
को स्थानांतरित कर जिला कारागार गोरखपुर में लाया गया था, उन्हें स्पेशल सेशन जज लखनऊ द्वारा दिनांक 6 जुलाई, 1927 को भारतीय दंड संहिता की धारा 121क, 120 ख, तथा 396 के तहत सजा-ए-मौत की सुनाई गई थी.
उसके उपरांत उन्हें 19 दिसंबर, 1927 को सुबह 6:30 बजे इसी जिला कारागार, गोरखपुर में फांसी पर लटकाया गया उन्हीं की स्मृति में शहादत दिवस के रूप में प्रतिवर्ष हम आज ही के दिन विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से उनके शहादत दिवस को स्मृति पर्व के रूप में मनाते हैं.
AGAZBHARAT
पूर्व मेयर डॉ. सत्य पांडेय ने कहा कि- ” युवाओं को ऐसे क्रांतिकारियों और राष्ट्र भक्तों से प्रेरणा लेनी चाहिए और उनके पद चिन्हों पर चलकर देश का नाम रोशन करना चाहिए,”
युवा आज नशे का शिकार हो रहे हैं उन्हें ऐसी गलत आदतो और विसंगतियों से दूर रहना चाहिए. आज के युवा कल के भविष्य और कर्णधार हैं.