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सर्वोच्च न्यायालय ने आरक्षण के मसले पर जैसे ही समीक्षा करने की बात कही तो ऐसे ढेरों प्रश्न उठ रहे हैं जिनकी समीक्षा करने की जरूरत आज आन पड़ी है.

लेकिन इस बात की भी समीक्षा होनी चाहिए कि आखिर क्यों 70 साल में अनुसूचित जाति के श्री के. रामास्वामी, श्री के.जी.बालकृष्णन,, श्री बी.सी. रे, श्री ए. वर्धराजन सिर्फ चार ही लोग सुप्रीम कोर्ट में जज बन पाए हैं,

जबकि ओबीसी के जज भी केवल 2 ही हुये, इसकी भी समीक्षा होनी चाहिए. आजादी के 70 साल में अनुसूचित जनजाति का एक भी व्यक्ति सुप्रीम कोर्ट में जज नहीं बना है, इसकी भी समीक्षा होनी चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट में आखिर एक ही जाति का वर्चस्व क्यों है? इसकी भी समीक्षा होनी चाहिए. संविधान के #आर्टिकल 12 के अनुसार सुप्रीम कोर्ट को राज्य माना जाना चाहिए. आरक्षण का प्रावधान सुप्रीम कोर्ट में राज्य की भांति हो इसकी भी समीक्षा होनी चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट में जब sc-st # एट्रोसिटी_एक्ट पर फैसला दिया जा रहा था, उस वक्त सुप्रीम कोर्ट में एससी, एसटी का एक भी जज नहीं था, क्या यह न्याय के मूल सिद्धांतों के अनुरूप था? इसकी भी समीक्षा होनी चाहिए.

संविधान के #आर्टिकल 312 (1) के अनुसार जजों की भर्ती के लिए # न्यायिक नियुक्ति आयोग का गठन होना चाहिए ऐसा क्यों नहीं किया जाता है ? इसकी भी समीक्षा होनी चाहिए.

संविधान संशोधन अधिनियम 1976, के 42 वें संशोधन के अनुसार जजों की भर्ती के लिए ऑल इंडिया जुडिशरी सर्विस का गठन किया जाना चाहिए. यह बिल संसद में कभी पेश ही नहीं किया गया, इसकी भी समीक्षा होनी चाहिए.

संविधान के #आर्टिकल 229 के अनुसार कर्मचारियों एवं अधिकारियों के मामले में उच्च न्यायालय अपने आप को राज्य मानता है और राज्य के अनुसार #आर्टिकल 15(4), 16(4) और 16(4 )(क) का पालन क्यों नहीं किया जाता है? इसकी भी समीक्षा होनी चाहिए !!

जब केशवानंद भारती मामले में भी #आर्टिकल 12 के अनुसार उच्च एवं उच्चतम न्यायालय को राज्य माना गया है, तो राज्यों के लिए लागू आरक्षण का प्रोविजन उच्च एवं उच्चतम न्यायालय में लागू क्यों नहीं किया गया? इसकी भी समीक्षा होनी चाहिए.

जब ओबीसी, एससी-एसटी आईएएस बन सकता है, आईपीएस बन सकता है, राष्ट्रपति बन सकता है, मुख्यमंत्री बन सकता है तो सुप्रीम कोर्ट में जज बनने के लिए कौन सी अनोखी प्रतिभा होनी चाहिए? इस बात की भी समीक्षा होनी चाहिए.

यदि सुप्रीम कोर्ट में जज बनने के लिए मेरिट ही आवश्यक है तो # ऑलइंडियाजुडिशरी_सर्विस का गठन करके खुली प्रतियोगिता में भाग क्यों नहीं लेते? इसकी भी समीक्षा होनी चाहिए.

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