- गरीब भारत में मिलती थी पुरानी पेंशन तो समृद्ध भारत में क्यों नहीं– ई० रामसमुझ
- माननीयों के लिए भी हो सिर्फ एक पेंशन की व्यवस्था जिससे कर्मचारियों को मिल सके पुरानी पेंशन– गोविंद जी
गोरखपुर: भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के आगमन पर कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाली के लिए भोजन अवकाश के समय डिप्लोमा इंजीनियर संघ भवन पर
बैठक करके परिषद के पदाधिकारियों ने यह मांग उठाई जिसकी अध्यक्षता परिषद अध्यक्ष रूपेश कुमार श्रीवास्तव और संचालन वरिष्ठ उपाध्यक्ष राजेश सिंह ने किया.
बैठक को संबोधित करते हुए रूपेश कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि हम अपने यशस्वी प्रधानमंत्री के गोरखपुर आगमन पर उनका हृदय से स्वागत करते हैं.
साथ ही यह मांग करते हैं कि कर्मचारियों के बुढ़ापे की रोटी (पुरानी पेंशन) आज खतरे में पड़ी है, उसे बहाल कर अपने देश के वरिष्ठ नागरिकों सम्मानजनक तरीके से जीने का अधिकार प्रदान करें.
कार्यवाहक अध्यक्ष इंजी. रामसमुझ ने कहा कि कुछ चाटुकार अर्थशास्त्री पुरानी पेंशन से देश की अर्थव्यवस्था को खतरा बता रहे हैं जबकि यह पूर्णतया गलत है.
पुरानी पेंशन ब्रिटिश शासन में भी कर्मचारियों को मिली, देश के राजाओं ने भी अपने कर्मचारियों को दिया और जब भारत गरीबी से जूझ रहा था तब भी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन मिल रही थी
तो अब तो माननीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में भारत एक समृद्ध राष्ट्र बन चुका है इसलिए अब पुरानी पेंशन देने में क्या दिक्कत आ रही है.
परिषद के मंडल अध्यक्ष गोविंद जी श्रीवास्तव ने कहा कि हम प्रधानमंत्री से यह गुहार लगाते हैं कि वह देश के सभी माननीयों को भी सिर्फ एक पेंशन देने की व्यवस्था बनाएं.
इससे कर्मचारियों को पेंशन देने का रास्ता आसान होगा और देश में वन नेशन, वन पेंशन व्यवस्था बन जाएगी. इस अवसर पर वरुण बैरागी, अशोक पांडेय, इंजीनियर अनिल किशोर पांडेय,
इंजीनियर रामकिशून, ई० राजकुमार, निधि गुप्ता, श्याम नारायण शुक्ला शब्बीर अली,एम०एम० शुक्ल, कनिष्क गुप्ता, ओंकार नाथ राय फुलई पासवान इजहार अली महेंद्र चौहान, राजकुमार आदि उपस्थित थे.