- अरशद मदनी बोले, आज अल्पसंख्यक ही नहीं देश का संविधान और लोकतंत्र खतरे में
प्राप्त जानकारी के मुताबिक यूपी, एमपी और गुजरात में सम्पत्तियों के ख़िलाफ़ बुलडोज़र चलाने के विरुद्ध जमीयत उलेमा ए हिन्द सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है.
जमीयत ने कहा है कि राज्य सरकारों द्वारा बुलडोज़र की जो ख़तरनाक राजनीति शुरू हुई है उसके खि़लाफ़ क़ानूनी संघर्ष जारी रहेगा और सुप्रीप कोर्ट में इसकी लड़ाई लड़ी जाएगी.
जमीयत उलेमा ए हिन्द के अध्य्क्ष मौलाना अरशद मदनी के आदेश पर जमीअत उलमा-ए-हिन्द के क़ानूनी इमदादी कमेटी के सचिव गुलज़ार अहमद आज़मी इस मामले में वादी बने हैं.
बुलडोज़र कल्चर के विरुद्ध जमीयत-उलेमा-ए-हिन्द की सुप्रीम कोर्ट में याचिका https://t.co/9msXMv1cdm
— Pal Pal News Network (@PalPalNewsIn) April 17, 2022
इस याचिका में अदालत से यह अनुरोध किया गया है कि वह राज्यों को आदेश दे कि अदालत की अनुमति के बिना किसी का घर या दुकान को गिराया नहीं जाएगा.
जमीअत उलमा ए हिंद के अध्यक्ष अरशद मदनी ने अपराध रोकथाम की आड़ में भाजपा सरकार द्वारा बुलडोजर नीति चलाने
के पीछे अल्पसंख्यकों खासकर के मुस्लिमों को निशाने बनाने की साजिश करार दिया है. उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि
उत्तर प्रदेश में नफरत की राजनीति पहले से ही चल रही है किंतु अब यह नापाक हरकत गुजरात और मध्यप्रदेश में भी शुरू हो गई है.
मध्य-प्रदेश के खरगोन शहर में रामनवमी के अवसर पर जुलूस द्वारा साम्प्रदायिक नारे लगाए गए और राज्य सरकार के आदेश पर मुसलमानों के घरों और दुकानों को ध्वस्त कर दिया गया.
यह याचिका अधिवक्ता सरीम नावेद ने वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से परामर्श करने के बाद तैयार किया है जिसे
अधिवक्ता कबीर दीक्षित ने ऑनलाइन दायर किया है. देश में पिछले कुछ समय से चल रही नफरत और सांप्रदायिक गतिविधियों पर चिंता व्यक्त करते हुए मौलाना मदनी ने कहा कि
आज धार्मिक उग्रवाद और नफरत का माहौल देश में व्याप्त होता जा रहा है जिसमें अल्पसंख्यकों विशेषकर मुस्लिम समुदाय को डराने धमकाने की साजिश चल रही है.
मुस्लिम मोहल्लों में मस्जिदों के सामने जाकर भड़काऊ नारे लगाए जा रहे हैं तथा लाठी-डंडे सहित पिस्टल खुलेआम पुलिस की मौजूदगी में
अराजक तत्व लहरा रहे हैं जिसे देखकर ऐसा लग रहा है कि देश में अब ना तो कोई कानून रह गया है और ना ही कोई ऐसी सरकार जो इन शरारती तत्वों को पकड़ सके.
मौलाना मदनी ने बताया कि वह देश के पीड़ित लोगों को न्याय दिलाने तथा देश के संविधान एवं लोकतंत्र को बचाने के लिए कानून के
शासन को बनाए रखने के उद्देश्य से देश की सबसे बड़ी न्याय पंचायत सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया है, उन्हें उम्मीद है कि इस मामले में न्याय मिलेगा.