BY- THE FIRE TEAM
लिव-इन रिलेशनशिप – दो वयस्कों के बीच सहमति से विषमलैंगिक सेक्स किसी भी अपराध की श्रेणी में नहीं है, भले ही इसे अनैतिक माना जाए।
घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 से महिलाओं की सुरक्षा की धारा 2 (एफ) के तहत विवाह की प्रकृति के संबंध अभिव्यक्ति के भीतर एक लिव-इन संबंध भी आता है ।
लिव-इन या विवाह जैसा संबंध, न तो अपराध है और न ही पाप हालांकि इस देश में सामाजिक रूप से अस्वीकार्य है।
विवाह करने या विवाह न करने या विषमलैंगिक संबंध बनाने का निर्णय व्यक्तिगत है।
यह भारतीय न्यायालय ने केस इंद्र शर्मा बनाम वी के वी शर्मा, 2014 व लता सिंह बनाम यूपी 2006 में पुख्ता की है ।
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