प्रधानमंत्री मोदी एक बार फिर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन से फिसड्डी साबित हुए हैं। इसका खुलासा हुआ दुनिया की आरटीआई रैंकिंग में, जहां भारत अब मजबूत हालत में नज़र नहीं आ रहा है।

123 देशों की इस लिस्ट में भारत अब दूसरे से छठे स्थान पर पहुँच चुका है। जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे तब ग्लोबल रेटिंग में भारत का स्थान दूसरा स्थान था।

दरअसल मानवाधिकारों के लिए काम करने वाली विदेशी गैर सरकारी संस्था एक्सेस इन्फो यूरोप और सेंटर फॉर लॉ एंड डेमोक्रेसी ने एक संयुक्त प्रोजेक्ट किया। जिसमें संस्था ने 123 देशों में सूचना का अधिकार कानून की खूबियों और कमजोरियों की समीक्षा की इसमें 150 पॉइंट स्केल का इस्तेमाल किया था।

जिसके तहत 61 बिंदुओं को कुल सात मानकों में बाँटकर आरटीआई से जुडी सुविधाओं की स्थिति के हालत बताये गए। संस्था ने आरटीआई के तहत आने वाले अलग-अलग देशों में आरटीआई तक पहुँचने का अधिकार, दायरा,अनुरोध प्रक्रिया, अपवाद और इनकार, अपील अनुमोदन और सुरक्षा और आरटीआई का प्रचार तंत्र का सर्वे कर लिस्ट तैयार की।

इस रिपोर्ट में भारत में आरटीआई के तहत कैसे जानकारी देने से मना किया गया इसके बारे में बताया गया है। रिपोर्ट के अनुसार साल 2017 में आरटीआई के तहत भारत में कुल 66.6 लाख आवेदन मिले जिनमें 4.8 लाख आवेदन ख़ारिज कर दिए गए यानी कुल 7.2%।

बता दें कि साल 2011,12और 2013 में भारत ग्लोबल रेटिंग में दूसरे नंबर पर था लेकिन उसके बाद भारत अपने स्थान और सूचना देने में भी फिसलता चला गया,स्लोवेनिया, श्रीलंका, सर्बिया, मैक्सिको और अफगानिस्तान से भी पीछे जाकर छठे नंबर पर जा लुढ़का है।