BY–THE FIRE TEAM
वैश्विक महाशक्ति बनने की राह पर आगे बढ़ रहे भारत के लिये हाल ही में आई एक रिपोर्ट चिंताजनक तस्वीर पेश करती है। ‘ग्लोबल हंगर इंडेक्स’ की हालिया रिपोर्ट के अनुसार भारत में ‘भूख’ अभी भी एक गंभीर समस्या है।
एक तरफ़ सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का तमगा और दूसरी तरफ़ भुखमरी का हाहाकार। भारत का मौजूदा विकास का मॉडल अरबपतियों की लिस्ट बढ़ाने के साथ भूख से तड़पते लोगों की तादाद दिन दूनी-रात चौगुनी गति से बढ़ा रहा है। हाल ही में जारी हुए विश्व भूख सूचकांक 2018 के नतीजे शर्मिंदा करने वाले हैं। भारत तीन पायदान गिरकर 103 वें स्थान पर पहुँच गया। 2017 में यह रैंकिंग 100 थी।
प्रधानमंत्री मोदी- ‘सत्तर सालों में जो नहीं हुआ, वह अब हो रहा है’ -का दावा संसद से लेकर सड़क तक करते घूमते हैं। लेकिन जब 2014 में उन्होंने कमान सम्हाली थी तो ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत की रैंकिंग 55वीं थी जो साढ़े चार सालों के उनके शासन में 48 अंक फ़िसली है। 119 देशों की इस सूची में भारत का 103वाँ स्थान, बुलेट ट्रेन छाप विकास की असलियत बयान कर रहा है। लिस्ट में भारत और अफ्रीकी देश नाइजीरिया, दोनों 103वें पायदान पर हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 21 फ़ीसदी बच्चे (पाँच साल से कम उम्र का हर पाँचवाँ बच्चा), कम वज़न और कुपोषण का शिकार है। भुखमरी के मामले में भारत की स्थिति श्रीलंका, नेपाल और बांग्लादेश से भी ख़राब बताई गई है। पड़ोसियों में सिर्फ़ पाकिस्तान (106) और अफ़गानिस्तान (111) की हालत ही भारत से ख़राब है। भूटान इस लिस्ट में शामिल नहीं है।
2017 में जब यह रिपोर्ट आई थी तब भी सोशल मीडिया में पीएम के हाहाकारी विकास पर के दावे पर तमाम सवाल उठाए गए थे। तब भारत सौंवे पायदान पर था।
ग्लोबल हंगर इंडेक्स
- ग्लोबल हंगर इंडेक्स नामक यह रिपोर्ट वेल्टहंगरहिल्फ़ और कंसर्न वर्ल्डवाइड द्वारा सालाना तौर पर जारी किया जाने वाला एक संयुक्त-समीक्षा प्रकाशन है जो वैश्विक, क्षेत्रीय और देश के स्तर पर भुखमरी को व्यापक रूप से मापने और उसकी पहचान करने के लिये डिज़ाइन किया गया है। (इस वर्ष तक इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट भी इसके प्रकाशन में शामिल था।)
- रिपोर्ट में भुखमरी के स्तर की गणना करने के लिये चार मुख्य संकेतकों का उपयोग किया जाता है। पहला संकेतक अल्पपोषण है, जो कि जनसंख्या के उस हिस्से को इंगित करता है जो अल्पपोषित है और अपर्याप्त कैलोरी उपभोग को दर्शाता है।
- अन्य तीन संकेतक पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिये निम्नलिखित आँकड़ों का उपयोग करते हैं: बच्चे में कमज़ोरी (ऊँचाई के अनुपात में कम वजन); बच्चे में बौनापन (उम्र के अनुपात में कम ऊँचाई) और बाल मृत्यु।
- जीएचआई का उद्देश्य दुनिया भर में भुखमरी को कम करने के लिये कार्रवाई को शुरू करना है।
- भुखमरी से लड़ने में प्रगति और असफलताओं का आकलन करने के लिये प्रत्येक वर्ष जीएचआई स्कोर की गणना की जाती है।