उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए मुल्लापेरियार डैम पर निर्णय की खास जानकारी दे रहे हैं;
डॉ राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के छात्र –
अनुराग चौधरी।
जैसा की हम लोग जानते है की केरल इस समय पूर्ण रूप से बाढ की चपेट में है जिससे वहां लगभग 400 लोगों की जाने जा चुकी है और हजारों लोग बेघर हो गये हैं |
आपको बताते चलें की मुल्लापेरियार डैम एक चिनाई गुरुत्वाकर्षण बांध है यह पेरियार नदी पर बना हुआ है जो केरल राज्य के इद्दुकी जिले में पड़ता है | इस बांध को 1887 -1895 के बीच बनाया गया था |जब यह राज्य केरल और तमिलनाडु बटे भी नही थे |यह बना तो केरल में है जो पहले एक रियासत थी |जिसको 999 साल की लीज पर तमिलनाडु (मद्रास प्रेसीडेंसी ) को दिया गया था |पेरियार नदी का बहाव कम करने के लिए इस बांध को बनाया गया था |जिससे तमिलनाडु के किसानो को पानी भी मिलने लगा था |
चूँकि यह बांध लीज पर था जिसकी वजह से जो भी उर्जा पैदा होती थी व बिजली पैदा होती थी वह सब तमिलनाडु की होती है | इस बांध की जिम्मेदारी बहुत बड़ी है क्योंकि इस बांध को इतना पानी रोक कर रखना है कि तमिलनाडु की तरफ बहाव होने लगे | अब यह बांध कमजोर हो रहा है | जब यह बांध बनाया गया था तब यह सोंच कर बनाया गया की 50 साल तक चलेगा |पर अब 50 साल से ज्यादा वक्त हो चुका है | अब केरल के लोगों को डर सता रहा है कि कहीं यह बांध टूट ना जाय | यह जर्जर हो चुका है, कुछ समय पहले यहाँ भूकंप के झटके भी महसूस किये गये थे जिसकी वजह से इसमें दरार भी आ गयी है |
अगर कहीं यह बांध टूट गया तो केरल पूर्ण रूप से मौत के मुह में समां सकता है |यह बात तो चरितार्थ है कि तमिलनाडु और केरल की आपस में बहुत रार है | तमिलनाडु कह रहा है कि पानी का दबाव और बढाओ जिससे मुझे पानी और ज्यादा मिल सके | जबकि केरल चाह रहा है कि पानी का दबाव इस बांध पर कम पड़े जिससे बांध टूटने ना पाए | अब प्रश्न उठता है कि जर्जर है तो इसकी मरम्मत कौन करे इस पर भी दोनों प्रदेशों में विवाद है | दूसरा नया बांध बनाने के लिए भी तमिलनाडु सहमत नही है |
खुदा ना खास्ता कहीं यह बांध अगर टूट गया तो बहुत ज्यादा जान माल का नुकसान हो सकता है |इस बांध के टूटने के नुकसान को फिल्म (MOVIE ) “डैम 999” में दिखाया गया है |
इस बांध पर पुनः 1970 में समझौता किया गया कि इस बांध पर जो भी उर्जा उत्पन्न होगी वह तमिलनाडु की होगी उसके बदले केरल को किराया मिलेगा | केरल को डर सताता रहता है कि कहीं बांध टूट ना जाय जिसकी वजह से वह पानी का दबाव कम करना चाहता है | जिससे हर समय तमिलनाडु और केरल में रार बनी रहती है |
तमिलनाडु पानी का दबाव बढ़ा कर अपने किसानो को फायदा पहुँचाना चाहता है ईसी मामले में तमिलनाडु सरकार सुप्रीमकोर्ट का दरवाजा खटकता चुकी है |जहाँ वह कहती है कि केरल हमें पानी का दबाव बढ़ाने नही दे रहा है जिससे हमारे किसानो को समुचित पानी नही मिल पा रहा है जिसकी वजह से हमें काफी छति हो रही है है |
2006 में इस मामले में सुप्रीमकोर्ट ने अपना फैसला तमिलनाडु के पक्ष में सुनाया और 142 फीट तक पानी बढाने का आदेश दिया था |जो केरल के लिहाज से काफी खतरनाक है |इसके विरोध में केरल ने अपने पुराने अधिनियम “केरल सिंचाई और जल संरक्षण अधिनियम” में संसोधन कर 136 फीट तक जल दबाव को प्रतिबंधित कर दिया |फिर तमिलनाडु सरकार सुप्रीमकोर्ट गयी और कहा आपके आदेश का उलंघन हो रहा है केरल सरकार नया कानून बना दी है |
इस तरह से लगातार तमिलनाडु और केरल के बीच रार बनी आ रही है |
इस समय केरल बृहद आपदा से प्रभावित है इसी को ध्यान में रखते हुए सुप्रीमकोर्ट ने कहा है कि मुल्लापेरियार डैम का पानी का दबाव 142 से कम कर के 139 फीट कर दिया जाये | यह फैसला रूसल जोय नामक व्यक्ति के द्वारा डाली गई याचिका की सुनवाईं करने के बाद आया है | रूसल जोय ने सुप्रीमकोर्ट से गुहार लगाई कि अगर समय रहते मुल्लापेरियार डैम का पानी नही कम किया गया तो केरल में और भी भीषण तबाही का मंज़र देखने को मिल सकता है |
सुप्रीमकोर्ट ने कहा हम पानी का बंटवारा नही करेंगे | सरकार एक रास्ट्रीय आपदा कमेटी बनाकर इस मामले को सुलझाये | और आगे कहा कि इस बाढ़ को देखते हुए कई छोटे डैम खोलने पड़े हैं , अगर यहाँ भी खोलना पड़ा या डैम टूट जाता है तो बहुत बड़ी त्रासदी हो सकती है |इसीलिए केरल व तमिलनाडु को बिना किसी देरी के आपस में समझौता कर लेना चाहिए जिसमें वह नये डैम बना सकते है और पानी का दबाव कम कर सकते है तभी जाकर दोनों प्रदेश का संकट दूर हो सकता है |
मुख्यतः तमिलनाडु को, केरल के छाती पर जो संकट मंडरा रहा है , उस संकट की घडी में सहयोग देने की जरुरत है |