देश में इस समय धर्मांतरण के तेजी से बढ़ते मामलों का संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसे गंभीर विषय बताकर कहा कि धर्मांतरण को राजनीतिक रंग नहीं दिया जाना चाहिए.
इसके साथ ही न्यायालय ने निर्देश दिया कि जबरन धर्मांतरण को रोकने के लिए केंद्र और राज्य कड़ी कार्रवाई करें.
फिलहाल इस मुद्दे को लेकर अगली सुनवाई 7 फरवरी को होनी तय है. इस संबंध में न्यायमूर्ति एम आर शाह तथा न्यायमूर्ति सिटी रवि कुमार की संयुक्त पीठ ने
अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि से उस मामले में पेश होने के लिए कहा जिसमें याचिकाकर्ताओं ने भय, धमकी, उपहार और मौद्रिक लाभ के जरिए धर्मांतरण कराए जाने के कार्यों में लिप्त लोगों पर रोक लगाने का आग्रह किया है.
साथ ही तमिलनाडु की तरफ से अधिवक्ता पी विल्सन ने धर्मांतरण को लेकर सफाई देते हुए डाली गई याचिका के संबंध में इसे राजनीतिक रूप से प्रेरित जनहित याचिका कहा है.
क्या होता है धर्मांतरण?
किसी ऐसे नए धर्म को अपनाने का कार्य धर्मांतरण कहलाता है जो धर्मान्तरित हो रहे व्यक्ति के पिछले धर्म से भिन्न हो. यानी कि एक ही धर्म के किसी एक संप्रदाय से दूसरे में होने वाला परिवर्तन.
वैसे देखा जाए तो धर्मांतरण को लेकर प्रत्येक राज्य में एक समान कानून नहीं है. अनुच्छेद 25 के अंतर्गत यह व्यक्ति का मौलिक अधिकार है कि वह अपनी मर्जी से जिस धर्म को चाहे उसे अपना सकता है.