जैसा कि सभी जानते हैं कि लॉकडाउन के दौरान बड़ी-बड़ी इंडस्ट्रीज से लेकर छोटे-मोटे कारोबार करने वाले सभी लोग गंभीर आर्थिक क्षति का सामना किए हैं.
इसके कारण बहुत सारे लोगों का व्यवसाय या तो बंद हो गया अथवा बंद होने के कगार पर पहुंच चुका है.
इसी क्रम में वेश्यावृत्ति भी प्रभावित हुई है जिसके संबंध में सेक्स वर्करों ने सर्वोच्च न्यायालय में कोविड-19 के दौरान सामना की गई
सुप्रीम कोर्ट ने सेक्स वर्क को पेशा माना है. SC ने कहा है कि पुलिस को सहमति से सेक्स करने वाली महिलाओं और पुरुषों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करनी चाहिए. #SupremeCourt https://t.co/LeHvf6WVub
— Salaam TV (@salaamtvnews) May 26, 2022
परेशानियों को लेकर एक याचिका दायर किया था जिसमें उसने बताया था कि सेक्स वर्कर्स भी कानून के तहत गरिमा और सम्मान, सुरक्षा के हकदार हैं.
इस संबंध में न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, बीआर गवई और एएस बोपन्ना की बेंच ने अधिकारों को सुरक्षित करने की दिशा में निर्देश जारी करते हुए बताया है कि
“सेक्स वर्कर्स भी देश के नागरिक हैं तथा उन्हें भी कानून का समान संरक्षण पाने का अधिकार है क्योंकि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत देश के प्रत्येक नागरिक को सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार मिला है.”
पुलिस अधिकतर मामलों में वेश्यालय पर छापेमारी करके उन्हें परेशान करने के साथ-साथ गिरफ्तार कर लेती हैं, इसको रोकने की जरूरत है.
यदि कोई छोटा बच्चा वेश्यालय अथवा सेक्स वर्कर के साथ रहता है तो इससे यह सिद्ध नहीं होता है कि वह बच्चा तस्करी करके लाया गया है.
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यदि किसी सेक्स वर्कर के साथ कोई ही अपराध होता है तो उसे तुरंत मदद उपलब्ध कराने की जरूरत है.
उन्हें कानून के तहत तत्काल मेडिकल सहायता सहित यह सभी सुविधाएं मिलनी चाहिए जो एक यौन पीड़ित महिला को दी जाती है.
ऐसे कई मामले सामने आए जिसमें देखा गया कि पुलिस सेक्स वर्कर्स के प्रति क्रुर और असंवेदनशील हो जाती है.
पुलिस को उनके साथ मौखिक अथवा शारीरिक रूप से बुरा व्यवहार नहीं करना चाहिए. कोर्ट ने प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया से जुड़े मामले की
कवरेज के लिए दिशानिर्देश जारी करने की अपील किया है ताकि गिरफ्तारी अथवा किसी अन्य अभियान के दौरान वेश्यावृत्ति का कार्य करने वाले लोगों की पहचान उजागर न हो.