‘पूर्वांचल के गांधी’ ने डाली जनहित याचिका, नहीं छिनने देंगे अन्नदाताओं की जमीन
विकास का कोई ऐसा स्वरूप जो हमारा जीवन छीनता है, सीमित करता है या कमजोर करता है, ‘क्राइम है.’ विकास शब्द जीवन के बिना अस्तित्वहीन है. ‘जमीन’ जीवन से अभिन्न” है क्योंकि जीवन जीने के लिए जो अनाज आदमी खाता है, वह जमीन से पैदा होता है. जब जमीन ले ली जाएगी, तब उस जमीन … Read more