11 जुलाई, 2022 को ‘विश्व जनसंख्या दिवस’ मनाने के साथ ही कई तरह की चिंताएं भी देखने को मिली हैं.
आज वैश्विक स्तर पर मानव आबादी का आंकड़ा 8 खरब तक पहुंचने वाला है. कहीं ना कहीं इतनी बड़ी जनसंख्या के लिए
रोजगार, पोषण, खाद्यान्न उपलब्धता, चिकित्सा इत्यादि ऐसे पहलू हैं जो राष्ट्र अध्यक्षों के समक्ष मुंह बाए खड़े हैं.
कैसे होगा इनका समाधान?
अगर देखा जाए तो विश्व में प्रति मिनट 270 बच्चों के जन्म के साथ जनसंख्या वृद्धि हो रही है और ऐसी संभावना जताई गई है कि
World Population Day: India will overtake China in 2023, says the UN https://t.co/Xq5JRkfau9
— BBC News (World) (@BBCWorld) July 11, 2022
वर्ष 2023 में जनसंख्या का यह आंकड़ा 8 खरब तक पहुंच जाएगा. इसके साथ ही भारत को लेकर के भी ऐसा माना गया है कि अगले 3 वर्षों में यह विश्व की सबसे अधिक आबादी वाला देश बन जाएगा.
तेजी से बढ़ती जनसंख्या के कारणों की तलाश की जाए तो ज्ञात होता है कि लोगों के खानपान में सुधार के कारण उम्र में इजाफा हुआ है,
शिशु मृत्यु दर में कमी आई है, उन्नत चिकित्सा सेवाओं की उपलब्धता के लिए ने लोगों को जीवनदान दिया है.
जनसंख्या सांख्यिकी के जानकारों का कहना है कि भारत में जो वर्तमान स्थिति बनी हुई है उससे ऐसा लगता है कि आने वाले तीन-चार वर्षो के भीतर ही विश्व में सबसे अधिक आबादी वाला देश भारत होगा.
हालांकि ‘वर्ल्ड इकोनामिक फोरम’ की रिपोर्ट ने संदर्भित किया है कि इस सदी के अंत तक भारत और चीन दोनों देशों की आबादी में काफी गिरावट आएगी.
विचारणीय पहलू यह है कि यदि जन्म दर घट रहा है तो फिर आबादी क्यों इतनी तेजी से बढ़ रही है यदि इस आंकड़े को प्राप्त करने के लिए हम
पिछले वर्षों का सांख्यिकी विवरण देखें तो ज्ञात होता है कि अब हर साल 1,000 लोगों में से 7.60 लोगों की मौत होती है
जबकि करीब 18 लोगों का जन्म होता है. यानी कि जन्म दर का आंकड़ा मृत्यु दर से दुगूना है. यही आबादी में वृद्धि का एक अहम कारण निकल कर सामने आ रहा है.
अफ्रीका महाद्वीप में स्थित नाइजीरिया की आबादी भी जनसंख्या बढ़ाने में विश्व में दूसरे स्थान पर रहने की उम्मीद है.