‘राष्ट्रीय शिक्षिका दिवस’ मनाने की जरूरत क्यों है?

{गौतम कुमार प्रीतम} जो बात 19वीं सदी में बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने कहा था कि शिक्षा शेरनी का वह दूध है जिसे जो जितना पिएगा वह उतना ही डालेगा दहाड़ेगा. इस तथ्य को शायद सावित्रीबाई फुले तथा महात्मा ज्योतिबा फुले भली-भांति बहुत पहले ही समझ गए थे. शिक्षा के अभाव में शूद्रों और … Read more

सलवा हुसैन: एक ऐसी महिला जिनका दिल उनके शरीर में नहीं, बाहर रखे बैग में धड़कता है

agazbharat

ये अपने शरीर में बिना दिल की महिला हैं. यह दुनिया में एक दुर्लभ मामला है क्योंकि वह अपने कृत्रिम दिल को एक बैग में रखती है. इस संबंध में ब्रिटिश अखबार “डेली मेल” ने बताया कि 39 साल की सलवा हुसैन एकमात्र ऐसी व्यक्ति हैं जो ब्रिटेन में इस तरह से रहती हैं. वह … Read more

तो क्या रवीश कुमार भी शोषक वर्ग का ही काम कर रहे हैं?

रवीश कुमार जैसे प्रसिद्ध पत्रकारों को सुनते/पढ़ते समय कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है कि शोषक वर्ग देश की जनता के खिलाफ एक खतरनाक प्रोपोगण्डा युद्ध चला रहा है. शोषक वर्ग की मीडिया जनता के समक्ष -1-अक्सर गलत सूचनाएं देती है 2- अक्सर झूठे आँकड़े देती है 3- अगर कहीं सूचना सही देती है, … Read more

जनसंख्या नियंत्रण कानून: देश की जनता को उलझाए रखने के लिए बीजेपी का अगला दाँव है

(पोस्ट श्याम मीरा सिंह की है) ‘देशभक्ति सिलेबस’ का ‘जनसंख्या कानून’ एक ऐसा चैप्टर है जिससे अच्छे से अच्छा मोहित हो जाए. विपक्ष के पास भी इसके विरोध में खास तर्क नहीं हैं. ये ऐसा इकतरफा मुद्दा है जिसमें मोदी-शाह की इकतरफा जीत तय है लेकिन इसके लागू होने पर होने वाली गड़बडों से आप … Read more

आधुनिक भारतीय फुटबाल के आर्किटेक्ट के नाम से जाने जाते हैं-सैय्यद अब्दुल रहीम

आज कल क़तर में फुटबॉल का वर्ल्ड कप FIFA 2022 चल रहा है, रोज़ाना उससे जुड़ी ख़बरें न्यूज़ चैनल्स, अख़बार और सोशल मीडिया पर दिखाई जा रही हैं. वर्ल्ड कप की इस गहमागहमी के बीच कुछ ज़िक्र भारतीय फुटबाल का भी कर लिया जाए. आज भारतीय फुटबॉल टीम का FIFA रैंकिंग में 106th स्थान है. … Read more

73 वें संविधान दिवस (विधि दिवस) पर आप समस्त देशवासियों को हार्दिक बधाई…

इंसान को इंसान होने का एहसास कराने के उद्देश्य से समाज के कुशल चितेरे बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर द्वारा निर्मित संविधान पर आज हमें गर्व है. कितना इत्तेफाक है कि इसी देश में रहने वाले लोगों के बीच जाति, वर्ग, नस्ल, लिंग संप्रदाय के आधार पर इस कदर विभाजन करके शासन चलाया जा रहा … Read more

अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस को मनाने के पीछे क्या है खास उद्देश्य?

(सईद आलम खान की कलम से) आज हम 21वीं सदी में रह रहे हैं किंतु अगर देखा जाए तो भारत ही नहीं वैश्विक स्तर पर लैंगिक भेदभाव, गरीबी, बेरोजगारी, महिला घरेलू हिंसा इत्यादि चुनौतियां मुंह बाये खड़ी हैं. भारत के परिप्रेक्ष्य में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो का आंकड़ा देखा जाए तो वर्ष 2020 में लॉकडाउन … Read more

21वीं सदी में देशवासियों को राशन कार्ड बाँटने पर एक समाजसेवी का व्यंग

21वीं सदी की तीसरी दहाई में हम राशन कार्ड बांट रहे हैं एवं उसके नए नियम बना रहे हैं क्या यही 75 साल की हमारी विकास यात्रा है? मेरे सुझाव से इस समय मनुष्यता की रक्षा होनी चाहिए जिसके लिए ऐसा कदम बेहतर सिद्ध होगा- 1. समानता कायम करना: कृषि योग्य और बिना कृषि योग्य … Read more

किसी भी वरिष्ठ नागरिक के साथ खिलवाड़ न करें, बल्कि उनको सम्मान दें

एक वृद्ध आदमी बैंक जाता है और काउंटर पर एक जवान (कैशियर) को रुपये 1000/- का निकासी चेक देता है. कैशियर: सर, इतनी छोटी रकम आपको बाहर के एटीएम से निकाल लेनी चाहिए और मेरा समय बर्बाद नहीं करना चाहिए. वृद्ध आदमी: मुझे 1000/- रुपये नकद देने में आपको क्या परेशानी है? कैशियर: सॉरी सर, … Read more

बर्तोल्त ब्रेख्त का एक बेहतरीन व्यंग, आपको पढ़ना चाहिए

मकान मालकिन की छोटी लड़की ने एक महाशय से पूछा–अगर शार्क आदमी होते तो क्या छोटी मछलियों के साथ उनका व्यवहार सभ्य-शालीन होता? उन्होंने कहा-निश्चय ही, अगर शार्क आदमी होते तो वे छोटी मछलियों के लिए समुद्र में विशाल बक्से बनवाते, जिसके भीतर हर तरह के भोजन होते, तरकारी और मांस दोनों ही. वे इस बात … Read more

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