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एक वृद्ध आदमी बैंक जाता है और काउंटर पर एक जवान (कैशियर) को रुपये 1000/- का निकासी चेक देता है.

कैशियर: सर, इतनी छोटी रकम आपको बाहर के एटीएम से निकाल लेनी चाहिए और मेरा समय बर्बाद नहीं करना चाहिए.

वृद्ध आदमी: मुझे 1000/- रुपये नकद देने में आपको क्या परेशानी है?
कैशियर: सॉरी सर, ऐसा नहीं हो सकता. आप या तो एटीएम जाएं या निकासी राशि बढ़ा दें.

वृद्ध आदमी: ठीक है, मैं न्यूनतम अनिवार्य राशि में से शेष अपने खाते से पूरी राशि निकालना चाहता हूं.

कैशियर वृद्ध के खाते की शेष राशि की जांच करता है और यह रु. 80 लाख होती है. वह कहता है-“अभी हमारे पास तिजोरी में इतना पैसा नहीं है लेकिन अगर आप मुझे 80 लाख रुपये का चेक देते हैं, तो हम कल नकदी की व्यवस्था कर सकते हैं.”

वृद्ध आदमी: आप मुझे अभी कितनी राशि दे सकते हैं? कैशियर: (बैंक का कैश बैलेंस चेक करता है) सर, आपको मैं सीधे 10 लाख दे सकता हूं.

वृद्ध आदमी 1000/- रुपये के चेक को फाड़ देता है, 10 लाख रुपये का नया चेक लिखता है और कैशियर को देता है.

कैशियर जब तिजोरी में कैश लेने जाता है तो वह वृद्ध सार्वजनिक शेल्फ से नकद जमा पर्ची निकालकर उसमें भर देता है.

कैशियर अंदर बैंक तिजोरी से नगदी लेकर वापस आता है, ध्यान से 10 लाख रुपये गिनता है, बूढ़े आदमी को देकर कहता है-

“सर, आप यह राशि ले सकते हैं. अब आपको इस रुपए के ढेर को खुद घर ले जाना है, लेकिन काउंटर छोड़ने से पहले गिनना, बाद में कोई शिकायत नहीं हो.”

बूढ़े ने उस ढेर से रु. 500/- के दो नोट निकालकर अपने पर्स में रखते हुए कहते हैं- “मुझे आप पर भरोसा है. बेटा, मुझे गिनने की जरूरत नहीं है.

अब, ये रहा कैश डिपॉजिट स्लिप- ₹9,99,000/- प्लीज.” मेरे खाते में वापस जमा करें और मुझे एक मुहर लगी हस्ताक्षरित काउंटर फ़ॉइल दें और हाँ, आप भी मेरी उपस्थिति में नकदी गिनें.”

कैशियर बेहोश…कहानी का नैतिक सार:

वरिष्ठ नागरिकों के साथ पंगा न करें, खासकर अगर वे सेवानिवृत्त हैं क्योंकि वे अब शेर नहीं बल्कि सवा शेर हैं.
(सभी वरिष्ठ नागरिकों को सम्मानपूर्वक समर्पित)

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