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आज कल क़तर में फुटबॉल का वर्ल्ड कप FIFA 2022 चल रहा है, रोज़ाना उससे जुड़ी ख़बरें न्यूज़ चैनल्स, अख़बार और सोशल मीडिया पर दिखाई जा रही हैं.

वर्ल्ड कप की इस गहमागहमी के बीच कुछ ज़िक्र भारतीय फुटबाल का भी कर लिया जाए. आज भारतीय फुटबॉल टीम का FIFA रैंकिंग में 106th स्थान है.

एक समय ऐसा था जब भारतीय टीम एशिया के बेहतरीन टीमों से एक समझी जाती थी, वो दौर भारतीय फुटबॉल का स्वर्णिम युग कहा जाता है.

ये स्वर्णिम युग उस वक्त था जब भारतीय टीम के कोच सैय्यद अब्दुल रहीम साहब थे. आइए जानते हैं भारतीय फुटबॉल के उस महान खिलाड़ी,

कोच और मैनेजर के बारे में जिनके समय को भारतीय फुटबॉल का स्वर्णिम युग कहा जाता है, जो आधुनिक भारतीय फुटबॉल के आर्किटेक्ट के नाम से जाने जाते हैं,

उनका नाम है सैय्यद अब्दुल रहीम, उनकी पैदाइश निज़ाम के हैदराबाद में 17 अगस्त, 1909 को हुई, प्रोफ़ेशन से टीचर थे, फुटबॉल के खिलाड़ी थे,

1950 से 1963 तक यानी मृत्यु तक वो भारतीय फुटबाल टीम के कोच रहे. इनके कोच का कार्यकाल भारतीय फुटबॉल के स्वर्णिम युग के तौर पर जाना जाता है.

इनकी सरपरस्ती में भारतीय टीम एशिया के सबसे बेहतरीन टीमों में से एक बन गई. 1951 में पहली बार एशिया कप हासिल किया, इस मैच में भारत ने ईरान को हरा कर गोल्ड मेडल हासिल किया था.

1951 से 1963 के बीच सैय्यद अब्दुल रहीम साहब के कार्यकाल के दौरान इंडियन फुटबॉल टीम ने नई बुलंदियों को छुआ.

शुरुआत 1951 में एशियन गेम्स की जीत से हुई जिसमें भारत ने गोल्ड मेडल हासिल किया. उसके बाद 1952 में क्वान्डुलर कप में भारत ने जीत दर्ज की.

लगातार चार साल तक 1953, 1954, और 1955 में क्वान्डुलर कप जीतता रहा, 1958 के एशियन गेम्स में भारत चौथे स्थान पर रहा,

और 1959 के मेंड्रेका कप में दूसरा स्थान पर रहा, 1962 के एशियन गेम्स में फिर से गोल्ड मेडल हासिल किया.

1956 के मेलबॉर्न ओलंपिक में भारत सेमीफाइनल तक पहुंचा. इस पोजीशन तक पहुंचने वाली एशिया की पहली टीम थी.

भारत से पहले कोई भी एशियन फुटबॉल टीम उस स्तर तक नहीं पहुंच पाई थी, ये भारतीय टीम के आज तक की सबसे बड़ी कामयाबी समझी जाती है.

अब्दुल रहीम साहब बेहतरीन टैक्टिक और इनोवेशन के लिए भी याद किए जाते हैं. जब दुनिया की ज़्यादातर फुटबॉल टीम 2-3-2-3 या 3-3-4 फॉर्मेशन के साथ खेलती थी.

अब्दूल रहीम साहब ने 4-2-4 फॉर्मेशन को भारतीय टीम में इंट्रोड्यूस किया, उनके द्वारा भारतीय टीम में इस फॉर्मेशन को इंट्रोड्यूस करने के कुछ सालों बाद

1958 के वर्ल्ड कप में ब्राज़ील की जीत ने इस फॉर्मेशन को दुनिया भर में मशहूर बना दिया और बहुत सी यूरोपियन टीमों ने भी इसे कॉपी किया.

अब्दुल रहीम साहब 1943 से लेकर अपने इंतकाल तक हैदराबाद फुटबॉल एसोसिएशन के सेक्रेटरी रहे. उन्होंने देश में फुटबॉल का ऐसा

इको सिस्टम डेवलप किया जिसने भारतीय टीम को सालों तक बेहतरीन खिलाड़ी दिए. कैंसर की वजह से 1963 में इनका इंतकाल हो गया.

इनके जीवन पर एक biopic ‘मैदान’ नाम से बन रही है जिसमें अजय देवगन इनके किरदार में नज़र आएंगे.

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