दहेज जुर्म है या व्यवस्था? आइये जानते हैं (Part-2)

(आशुतोष पांडेय की कलम से) हमारे रीति रिवाज में भी रक्षा बन्धन, भाई दूज आदि पर्व हैं जो भाई को उसकी बहन की जिम्मेदारी उठाने की प्रेरणा देते है. रिश्ते एक मर्यादा की डोर से बंधे रहते थे, सम्पत्ति से बड़ा होता था– “रिश्ते नातों का सम्मान” और एक व्यवस्था दी गई थी जहां लड़की … Read more

दहेज जुर्म है या व्यवस्था? आइये जानते हैं (Part-1)

(आशुतोष पांडेय की कलम से) दहेज के नाम पर जबरन पैसे की वसूली करना जुर्म है लेकिन दहेज जुर्म नहीं हैं. समस्या दहेज नहीं है बल्कि हमारे रिवाजों और कानून के टकराव की है. विवाह के समय यदि लड़का पक्ष जेवर कम लाता है तो लड़की पक्ष द्वारा बारात लौटा देना भी जुर्म होना चाहिए … Read more

धर्मांतरण के नाम पर हो रही गिरफ्तारियों पर ‘रिहाई मंच’ ने उठाया सवाल

मुसलमानों के खिलाफ अभियान तेज कर यूपी में साम्प्रदायिक राजनीति की बिसात बिछा रही भाजपा लखनऊ 22 जून, 2021: रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि उत्तर प्रदेश में भाजपा ने विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर वोटों का ध्रुवीकरण करने के उद्देश्य से मुसलमानों के खिलाफ अभियान तेज कर दिया है. इस अभियान को … Read more

जेल के अँधेरों के लिए भी ज़रूरी हैं रोशनी की चंद किरणें-भाग-3

लेकिन क्या हमारी सरकारें कैदियों के इन अधिकारों के प्रति ज़रा भी ध्यान देती हैं? क्या देश की अन्य जेलों में कितने बन्दी संक्रमित हुए, कितनों की मौत हुई, ये आंकड़े कभी दर्ज हो पाएंगे? पिछले वर्ष सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अपराध की प्रकृति, जेल की सजा और अपराध की गंभीरता के आधार पर … Read more

जेल के अँधेरों के लिए भी ज़रूरी हैं रोशनी की चंद किरणें-भाग-2

जेल बन्दियों के बारे में आज संवेदनशील और प्रगतिशील नजरिये से सोचा जाना चाहिए. लगभग एक वर्ष से जेल बन्दियों को अदालतों में पेशी, वकीलों, परिजनों, दोस्तों की मुलाकात से जिस तरह महरूम कर दिया गया है, यह उनके मानवाधिकारों का हनन है, लेकिन इस विषय को प्रमुखता से नहीं उठाया जा रहा है. इन … Read more

जेल के अँधेरों के लिए भी ज़रूरी हैं रोशनी की चंद किरणें-भाग 1

कई फीट ऊंची दीवारों के पीछे, सूरज की किरणों से भी महरूम कर दिये गये बन्दियों की नज़रें दौड़ती हैं उन शहरों, गलियों और अपने घरों की ओर जिनसे उनका जीवन जुड़ा है. लेकिन शाम होते-होते ये थकी, उदास नज़रें जेल के विशाल गेट पर आकर सूनी हो जाती हैं. पिछले एक साल से ये … Read more

पत्रकारिता का भी जमाना था, अब तो केवल चापलूसी है: जानिये क्यों?

जमीर बेच कर लोगो ने कब्र की जगह बना ली है जहाँ इंसानियत दफन होती है एक जमाना था जब पत्रकारों से मिलने के लिए जिले का कलेक्टर और एसपी समय लिया करते थे. आज पत्रकार खुद ही उनके आगे-पीछे घूमते रहते हैं. इसके पीछे हमारी कोई न कोई स्वार्थ नीति छुपी रहती है, इसकी … Read more

भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनाये बिना हम अपने देश को आत्मनिर्भर, समृद्ध, संपन्न, शक्तिशाली नहीं बना सकते: इंजी गौरव गुप्ता

विश्व या भारत में भ्रष्टाचार कोई नया रोग नहीं है और न ही उस पर चर्चा, चिंता और चिंतन करना कोई नयी बात है. भ्रष्टाचार का अर्थ है भ्रष्ट यानी बुरा आचरण और मानव जीवन के प्रारंभ से ही किसी न किसी रूप में भ्रष्टाचार समाज का हिस्सा रहा है. विश्व इतिहास भ्रष्टाचार के विरुद्ध … Read more

कोहिमा फतेह: चमार रेजीमेंट का यादगार शौर्य जिसे इतिहास में सदैव याद रखा जायेगा

(पिंजौर, हरियाणा पृथ्वीपाल सिंह के सौजन्य) द्वितीय विश्व युद्ध के समय पूरी दुनिया के देश दो भागों में विभक्त हो कर पूरी ताकत के साथ युद्ध में जूझ रहे थे. उस समय भारत में ब्रिटिश शासन था जो जापान देश के विरुद्ध था. जापानी फौजें भारत में नागालैंड तक घुस आई थी जिन्होंने कोहिमा पर … Read more

खेत-खेती-रोटी बचाने तथा तीन कृषि कानूनों के खिलाफ लामबन्द हुआ किसानों का दल

26 मई को किसान आंदोलन की आवाज में आवाज मिलाएंगे, बिहार-यूपी के बहुजन संगठन खेत-खेती-रोटी बचाओ, आजादी व लोकतंत्र बचाओ किसान आंदोलन के साथ खड़े हों ब्राह्मणवादी-कॉरपोरेटपरस्त मोदी सरकार के खिलाफ बहुजन एकजुटता व दावेदारी को बुलंद करो मौसम की मार झेलते हुए महामारी के बीच किसान खेत-खेती-रोटी बचाने के लिए तीन कृषि कानूनों के … Read more

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