BY–सुशील भीमटा
एक मसीहा-
देवभूमि हिमाचल प्रदेश की पवित्र धरती पावँटा साहिब में जन्में, पले-बढ़े गरीबों के मसीहा हेमन्त शर्मा समस्त देश के लिए इंसानियत की बेहतरीन मिसाल पेश करते चले जा रहे हैं।
नेक कर्मों की राह पर चल निकले हेमन्त शर्मा के कदम निरंतर इंसानियत की मिसाल पेश करते चले जा रहें हैं। हेमन्त शर्मा जी से बात-चीत करनें के बाद और स्थानीय लोगों से सम्पर्क के बाद मालूम हुआ कि पिछले मात्र एक वर्ष में ही हेमन्त शर्मा नें 13 लावारिस शवों का पुरे विधि विधान से अपनें खर्चे पर अंतिम संस्कार करके स्वयं उनकी अस्थियों का विसर्जन भी सामाजिक प्रथा के अनुसार किया है।
हेमन्त शर्मा जी पिछले दो वर्षों से इस नेक काम में निस्वार्थ भाव से डटे हुए हैं। इसके साथ-साथ हेमन्त शर्मा जी फुटपातों व अन्य स्थानों पर पड़े मानसिक रोगियों को भी हर दिन खाना खिलाकर उनकी हर संभव देखभाल भी करतें हैं। पिछले दो वर्षों में इस मसीहा ने लगभग दो दर्जन लावारिस शवों का अपनें खर्चे पर दाह-संस्कार व अस्थि विसर्जन किया है और दर्जनों मानसिक रोगियों को दो वक्त की रोटी व अन्य सहायता करते चले जा रहें हैं।
मात्र 33 वर्ष की आयु में ये जज्बा लिए हेमन्त शर्मा को देव मानव ट्रस्ट हरियाणा इंडिया द्वारा लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करनें लिए पंचकुला हरियाणा में सम्मानित किया गया। इस सम्मान के बारे में देव मानव ट्रस्ट व राष्ट्रीय महिला जागृति मंच की अध्यक्षा ज्योति सैनी जी ने बताया कि इस सम्मान समारोह में अलग-अलग राज्यों के 21 समाज सेवकों को सम्मानित किया गया जिसमें 33 वर्षीय देवभूमि के बेटे हेमन्त शर्मा को विशेष तौर पर सम्मानित किया गया।
हेमन्त शर्मा हर रोज 10-15 लोगों का खाना अपनें घर में बनाकर मानसिक रोगियों को खिलाते हैं और सर्दी के समय में उन्हें कम्बल भी देतें हैं। हेमन्त शर्मा के धरती से जुड़े पाँव ये बयान करते हैं कि इंसानियत ज़िंदा है अभी खत्म नहीं हुई।
26 जनवरी 2018 को हेमन्त शर्मा को इस सम्मान से नवाजा गया था। इस सम्मान नें हेमन्त शर्मा के नेक इरादों में नई उड़ान भर दी और समस्त मानव समाज के लिए एक प्रेरणा स्रोत्र बना दिया।
हिमाचल के इस बेटे पर देवभूमि फर्क करती रहेगी और समस्त जनता दुआ करती रहेगी कि और भी लोग इनके साथ जुड़ें और एक कारवाँ बन जाए।
मेरी ओर से –“ना रुके कदम तेरे कभी, ना राह से कभी भटको तुम, कदम नेक राह पर चलते चले यूँ ही और कारवाँ बन जाये”