BY- THE FIRE TEAM


देश को परमाणु ताकत देने वाले डॉ भाभा को भी मार चुके

देश के कई महान वैज्ञानिकों की रहस्यमय ढंग से मौत हो चुकी, जिसकी जांच के लिए सरकार बिल्कुल भी इच्छुक नही है। दुनिया जानती है कि अमेरिका की जासूसी एजेंसी CIA इस तरह के कामों को करती है।

लेकिन एक मोदी जी हैं जो अमेरिका के दबाव में ईरान जैसे मित्र देश से संबंध तोड़ लिए है और डॉलर में मंहगे दामों में तेल खरीदकर देश की जनता का तेल निकालेंगे।

देश की बौद्धिक संपदा खतरे में हैं पिछले 4 सालों में 11 से भी ज्यादा वैज्ञानिकों की रहस्यमय मौत हो चुकी हैं।

आप लोगों को शायद पता नही है कि देश के विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ होमी जहांगीर भाभा जी एक बेहतरीन नाभिकीय वैज्ञानिक थे जिन्होंने हमारे देश को नाभिकीय तकनीकी दी है। जब वह देश को परमाणु सम्पन्न बनाने में लगे हुए थे तो अमेरिका बहुत चिंतित हुआ। वह नही चाहता था कि कोई देश परमाणु ताकत को हासिल करे।

डॉ. होमी जहांगीर भाभा

इसलिए वह डॉ भाभा की हर गतिविधि पर नजर रखने लगा। डॉ होमी जहांगीर भाभा जी ने देश को भरोसा दिलाया कि वह बहुत जल्दी देश को नाभकीय छतरी का अविष्कार कर लेंगे। नाभिकीय छतरी एक ऐसा सुरक्षा तंत्र है जिसके माध्यम कोई भी परमाणु बम के हमले को आसमान में ही निष्क्रिय कर दिया जाता। यह तकनीक वर्तमान में अमेरिका, रूस और चीन के पास है।

डॉ भाभा की इस खोज से अमेरिका ने अपनी जासूसी एजेंसी CIA को इस काम पर लगाया।

TBRNEWS.ORG नाम की वेबसाइट ने 11 जुलाई 2008 को पत्रकार ग्रेगरी डगलस और सीआईए अफसर रॉबर्ट क्राओली के बीच हुई बातचीत छापी है जिसमें क्राओली कहते हैं कि ‘भारत ने 60 के दशक में परमाणु बम पर काम शुरू कर दिया था, जो हमारे लिए समस्या थी।’ रॉबर्ट इशारा करता है कि भारत ये सब रूस की मदद से कर रहा है।

इसी बातचीत में क्राओली होमी जहांगीर भाभा को ‘खतरनाक’ बताते है। वो ये भी कहता है कि भाभा जिस वियना की उड़ान पर थे उससे परेशानी और बढ़ती, इसी उड़ान के दौरान विमान के कार्गो में रखे बम में विस्फोट हुआ था।

गौरतलब है कि जनवरी 1966 में मुंबई से न्यूयॉर्क जा रहा एयर इंडिया का बोइंग 707 मॉन्ट ब्लां के निकट दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इससे विमान में सवार सभी 117 लोगों की मौत हो गई थी। इसी विमान में होमी जहांगीर भाभा भी सवार थे जो एक कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेने वियना जा रहे थे।

इसलिए देश के वैज्ञानिकों को सरकार पर दबाव बनाना चाहिए कि भविष्य में हमारे वैज्ञानिकों की जान को खतरा न् हो।


डॉ अजय कुमार
अतिथि शिक्षक
BBAU, लखनऊ


 

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