कर्नाटक के शिक्षण संस्थानों में मुस्लिम लड़कियों के हिजाब पहनने पर लगे प्रतिबंध को लेकर सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों में मतभेद है जिसकी सुनवाई अब बड़ी बेंच करेगी.
किंतु इसी बीच ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष तथा हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने गोलकुंडा किले के पास आयोजित एक जनसभा को संबोधित करते हुए हिजाब पर बढ़ते विवाद को लेकर बड़ी टिप्पणी किया है.
उन्होंने कहा है कि जब सिख पगड़ी पहन सकते हैं, ईसाई क्रॉस पहन कर आ सकते हैं तथा हिंदू विवाहित लड़कियां माथे पर सिंदूर और गले
में मंगलसूत्र पहनकर आ सकती हैं तो मुस्लिम लड़कियों का पढ़ने के लिए कक्षाओं में हिजाब पहनकर आने पर प्रतिबंध क्यों है?
एआईएमआईएम प्रमुख यहीं नहीं रुके बल्कि उन्होंने यहां तक कहा कि यदि लड़कियां हिजाब नहीं पहनेंगी तो क्या इन्हें बिकनी पहननी चाहिए.?
आप चाहे तो इसे पहन सकते हैं. आप हमारे धर्म, संस्कृति, हिजाब और दाढ़ी जैसी परंपराओं को खत्म करने पर तुले हुए हैं.
कहीं ना कहीं हिजाब पर प्रतिबंध लगाने से सिख, हिंदू, ईसाई और अन्य समुदाय की लड़कियों पर गलत संदेश जाएगा कि क्या मुस्लिम उनकी तुलना में कम नागरिक हैं.?
यदि संविधान द्वारा प्रदत्त अनुच्छेद 25 के तहत हमें धर्म और संस्कृति की स्वतंत्रता की आजादी है तो इसी आधार पर हम एक दूसरे की संस्कृति को सीख पाएंगे तथा राष्ट्र को एकजुट और मजबूत कर पाएंगे.
किंतू हिजाब को लेकर जिस तरह की साजिश की जा रही है उससे पता चलता है कि यह मुस्लिम संस्कृति को सफाया करने की कोशिश है.
ओवैसी ने उत्तर प्रदेश में योगी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में भारी भीड़ को संबोधित करते हुए
पुलिस अधिकारी यह कहता हुआ पाया जाता है कि मुस्लिमों को चुन-चुन कर मारूंगा, उन्हें मिट्टी में मिला दूंगा, उनके घरों पर बुलडोजर चला दूंगा.
यह उत्तर प्रदेश पुलिस के अधिकारी की भाषा है जिस पर पीएम नरेंद्र मोदी तथा सीएम योगी आदित्यनाथ ने अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दिया है.