patrika
  • इतिहास के कालखंड में एक ऐसी घटना घटी है कि जब रोम जल रहा था और नीरो बंसी बजा रहा था. कुछ इसी तरह के हालात आज वर्तमान समय में हमारे देश में भी देखा जा सकता है.

एक तरफ कोरोनावायरस के कारण ध्वस्त होती अर्थव्यवस्था, बड़े स्तर पर बैंकों का एनपीए बोझ, आर्थिक भ्रष्टाचार की लम्बी चेन, कई सरकारी संस्थानों के निजीकरण के बाद भी बेरोजगारी उच्चतम स्तर पर,

यहां तक कि देश की जीडीपी भी -23 के स्तर पर पहुंच गई है किंतु इस भीषण परिस्थिति में भी देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने लिए दो विमान ‘एयर इंडिया वन’ जिनमें एक की कीमत लगभग 8459 करोड़ रुपए बताई जा रही है, खरीदा है.

अगर खूबियों की बात करें तो इन विमानों में हवा में ही इंधन भरने की सुविधा, वीवीआईपी के लिए एक विशेष स्वीट, ऑफिस, कॉन्फ्रेंस हॉल, किचन मेडिकल सुविधा सहित डिफेंस सिस्टम से लैस है.

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इसके अलावा जो सुविधा अमेरिकी राष्ट्रपति के विमान में मौजूद होती, वह सब कुछ इसमें व्यवस्थित ढंग से देखने को मिलती है. इस विमान के 1 घंटे की उड़ान का खर्च लगभग सवा करोड़ रुपए है, होती है.

अब सोचने का प्रश्न यह है कि जब देश की अर्थव्यवस्था चरमराई हुई है तो इस तरह के विमान को खरीदने की क्या जरूरत थी.? इस वैश्विक कोरोनावायरस महामारी में लोगों के जीवन रक्षा के लिए मेडिकल सुरक्षा कीट खरीदने की जगह सरकार स्व उपभोग की चीजें लेने में ही व्यस्त है.

हालांकि सरकार के पास एयर इंडिया के कर्मचारियों के लिए प्रोविडेंट फंड और टीडीएस तक जमा करने के लिए पैसे नहीं है, रेलवे में पेंशन डालने के लिए पैसे नहीं है,

बोनस के लिए कोई धनराशि नहीं है और ना ही राज्य की सरकारों के पास स्वास्थ्य कर्मियों को तनख्वाह देने के पैसे हैं. और तो और डॉक्टर तक की सैलरी नहीं मिली है पिछले 6 महीनों में.

यही हालत देशभर में संविदा शिक्षकों की भी है उससे भी बढ़कर पीएम केयर्स फंड के नाम पर जो सरकार ने अप्रत्यक्ष घोटाला किया है वह भी किसी से छुपा नहीं है.

 

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