दिल्ली: आज ही के दिन यानि 28 दिसंबर, 1985 को भारतीय राष्ट्रीय की स्थापना हुई थी. इसका पहला अधिवेशन 28 दिसंबर से 31 दिसम्बर 1885 तक बंबई के गोकुलदास तेजपाल संस्कृत विद्यालय में आयोजित किया गया था.

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पहले अध्यक्ष व्योमेश चंद्र बनर्जी तथा सचिव एओह्यूम थे. बनर्जी कोलकाता उच्च न्यायालय के प्रमुख वक़ील थे.

कांग्रेस के पहले स्थापना अधिवेशन में कुल 72 सदस्य शामिल हुए जिनमें दादा भाई नौरोजी, फिरोजशाह मेहता, काशीनाथ तैलंग,

दीनशा एडलजी वाचा, बी राघवाचारी, एस सुब्रह्मण्यम, एन जी चंद्रवरकर, ए ओ ह्यूम आदि थे. कांग्रेस के मुख्य संस्थापकों में दादा भाई नौरोजी, दिनशा वाचा, एओ ह्यूम शामिल थे. 

अपने शुरुआती दिनों में काँग्रेस का दृष्टिकोण एक कुलीन वर्ग की संस्था का था. यही वजह है कि इसके शुरुआती सदस्य मुख्य रूप से बॉम्बे और मद्रास प्रेसीडेंसी से लिये गये थे.

काँग्रेस में स्वराज का लक्ष्य सबसे पहले बाल गंगाधर तिलक ने अपनाया था. 1907 में काँग्रेस में दो दल बन चुके थे-गरम दल एवं नरम दल.

गरम दल का नेतृत्व बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय एवं बिपिन चंद्र पाल (जिन्हें लाल-बाल-पाल भी कहा जाता है) कर रहे थे,

जबकि नरम दल का नेतृत्व गोपाल कृष्ण गोखले, फिरोजशाह मेहता एवं दादा भाई नौरोजी कर रहे थे. गरम दल पूर्ण स्वराज की माँग पर अड़ा था परन्तु नरम दल ब्रिटिश राज में स्वशासन चाहता था. 

प्रथम विश्व युद्ध के छिड़ने के बाद सन् 1916 की लखनऊ बैठक में दोनों दल फिर एक हो गये और होम रूल आंदोलन की शुरुआत हुई

जिसके तहत ब्रिटिश राज में भारत के लिये अधिराजकिय पद (अर्थात डोमिनियन स्टेट्स) की माँग की गयी. परन्तु 1915 में गाँधी जी के भारत आगमन के साथ काँग्रेस में बहुत बड़ा बदलाव आया.

चम्पारन एवं खेड़ा में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को जन समर्थन से अपनी पहली सफलता मिली. 1919 में जालियाँवाला बाग हत्याकांड के पश्चात गान्धी काँग्रेस के महासचिव बने.

उनके मार्गदर्शन में काँग्रेस कुलीन वर्गीय संस्था से बदलकर एक जनसमुदाय संस्था बन गयी जिसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया.

 तत्पश्चात् राष्ट्रीय नेताओं की एक नयी पीढ़ी आयी जिसमें सरदार वल्लभभाई पटेल, जवाहरलाल नेहरू, डॉ राजेन्द्र प्रसाद, महादेव देसाई एवं सुभाष चंद्र बोस, खान अब्दुल गफ्फार खान, मौलाना अब्दुल कलाम आजाद आदि शामिल थे.

गाँधी के नेतृत्व में प्रदेश काँग्रेस कमेटियों का निर्माण हुआ, काँग्रेस में सभी पदों के लिये चुनाव की शुरुआत हुई तथा कार्यवाहियों के लिये भारतीय भाषाओं का प्रयोग शुरू हुआ. 

काँग्रेस ने कई प्रान्तों में सामाजिक समस्याओं को हटाने के प्रयत्न किये जिनमें छुआछूत, पर्दाप्रथा एवं मद्यपान निषेध आदि शामिल थे.

1947 में स्वतंत्रता के बाद, कांग्रेस भारत की प्रमुख राजनीतिक पार्टी बन गई. आज़ादी से लेकर 2023 तक, 17 आम चुनावों में से, कांग्रेस ने 6 में पूर्ण बहुमत जीता

और 4 में सत्तारूढ़ गठबंधन का नेतृत्व किया; अतः, कुल 49 वर्षों तक वह केंद्र सरकार का हिस्सा रही. भारत में, कांग्रेस के सात प्रधानमंत्री रह चुके हैं,

पहले जवाहरलाल नेहरू(1947-64), लाल बहादुर शास्त्री(1964-66), इंदिरा गांधी(1966-77, 1980-84) राजीव गांधी(1984-89), पी.वी. नरसिम्हा राव (1991-96) और मनमोहन सिंह (2004-2014) थे.

-आलोक मल्ल

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here