मिली जानकारी के मुताबिक चिपको आंदोलन की तर्ज पर अब झारखंड के धनबाद में भी हो रही अंधाधुंध पेड़ों की कटाई के विरोध में लोग इसे रोकने के लिए पेड़ों से चिपक कर अपना विरोध जताना शुरू कर दिया है.
बता दें कि माइनिंग के लिए जब बीसीसीएल की आउटसोर्सिंग कंपनी पेड़ काटने पहुंची तो वहां ‘पर्यावरण बचाओ संघर्ष समिति’ तथा स्थानीय लोगों ने भारी विरोध करना शुरू कर दिया.
पर्यावरण प्रेमियों के तीखे प्रतिरोध के समक्ष पेड़ काटने गए लोगों को झुकना पड़ा और वह वापस लौट गए. इस विषय में पर्यावरण एक्टिविस्ट शशी भूषण ओझा मुकुल ने कहा कि
कभी हाईवे के नाम पर तो कभी माइनिंग तथा अन्य तरीकों से अंधाधुंध पेड़ों की कटाई की जा रही है. इसका खामियाजा आने वाले समय में लोगों को भुगतना पड़ेगा.
जिस तरीके से धनबाद के स्थानीय लोगों ने पर्यावरण को बचाने में तत्परता दिखाई है, उनकी कोशिश काबिले तारीफ है.
चिपको आंदोलन क्या था?
यह मुख्यत: उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में वनों की सुरक्षा के लिए 1970 के दशक में प्रारंभ किया गया आंदोलन है.
इसके अंतर्गत वनों की अंधाधुंध कटाई को रोकने तथा वन दोहन की ठेकेदारी प्रथा को समाप्त करने सहित कई मुद्दों को लेकर आंदोलन किया गया.