PHOTO:PTI

इससे व्यापार घटा 13.98 अरब रुपये का रहा। इसके अलावा देश का व्यापार घाटा पिछले पांच महीने के न्यूनतम स्तर पर आ गया है, जिसमें कच्चे तेल की हाल की उच्च कीमतों की प्रमुख भूमिका है.

केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा सोमवार को ये आंकड़े जारी किए गए जिसके मुताबिक निर्यात में गिरावट का मुख्य कारण उच्च आधार प्रभाव है.

मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक 2017 के सितंबर में डॉलर के संदर्भ में करीब 26 फीसदी की बेहद उच्च तेजी दर्ज की गई थी, क्योंकि जीएसटी लागू होने से पहले कीमतों में काफी कटौती की गई थी, जिससे निर्यात में काफी तेजी आई थी.

मंत्रालय ने अपनी समीक्षा में कहा, ‘यह अल्पकालिक प्रचलन (ट्रेंड) से परे की घटना है. निर्यात में फिर तेजी आएगी, और प्राप्त आय में करीब 10 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. इस साल के अक्टूबर के आंकड़ों से आगे के प्रचलन का पता चलेगा.’

आंकड़ों के मुताबिक, समीक्षाधीन माह में पेट्रोलियम उत्पादों, ऑर्गेनिक और इनऑर्गेनिक केमिकल्स और ड्रग्स व फार्मास्यूटिकल्स के निर्यात में सबसे ज्यादा तेजी रही.

इसके अलावा सितंबर में आयात में 10.45 फीसदी की तेजी दर्ज की गई. समीक्षा बयान में कहा गया है, ‘सितंबर में व्यापार घाटा 13.98 अरब रुपये का रहा, जो कि पिछले पांच महीनों का सबसे न्यूनतम स्तर है, जबकि कच्चे तेल की कीमतें उच्चस्तर पर हैं.’

इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया (ईईपीसी) ने कहा कि सितंबर के आंकड़ों में गिरावट यह दिखाता है कि डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरती कीमत से निर्यातकों को कोई फायदा नहीं हुआ है.

ईईपीसी के अध्यक्ष रवि सहगल ने एक बयान में कहा, ‘सितंबर में निर्यात में 2.15 फीसदी की गिरावट यह दर्शाता है कि रुपये की गिरती कीमत का कोई फायदा नहीं हुआ है.’

बताते चलें कि डॉलर के मुकाबले रुपए के गिरने से निर्यातकों को फायदा होता है। इससे वह ज्यादा से ज्यादा मात्रा में देश का सामान बाहरी मुल्कों में भेज पाते हैं। दरसल डॉलर के मुकाबले रुपए के गिरने से भारतीय सामान बाहरी देशों के लिए सस्ता पड़ने लगता है और वह भारतीय समान को ज्यादा खरीदने लगते हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here