BYसुशील भीमटा


हिमाचल प्रदेश के जिला किन्नौर का नाको गांव पूरी तरह जैविक खेती कर रहा है और समस्त प्रदेश के लिए एक उदाहरण बन गया है। कीट नाशकों और फंफूद नाशकों से होने वाले स्वास्थ्य नुकसान से निजात दिलवाने के लिए सरकार इस गांव के किसानों और बागवानों को प्रोत्साहित कर रही है।

कई बार कार्यशालाओं का इस गांव में किसानों को जानकारी देने के लिए आयोजन किया जाता है। कृषि मंत्री डॉ रामलाल मारकंडे ने इस गांव को प्रमाण पत्र देकर जैविक घोषित कर दिया है।

हिमाचल प्रदेश सरकार राज्य को पूरी तरह से रसायन मुक्त कर जौविक बनाने की कोशिश कर रही है। जनजातीय बहुल इलाका किन्नौर के नाको गांव को पूरी तरह से जौविक प्रमाणिकता प्रदान की गई है।

नाको गांव को जौविक प्रमाणिकता नियो ऑर्गेनिक, हिमोड व कृषि विभाग ने प्रमाण पत्र प्रदान किया गया है।
जनजातीय इलाका किन्नौर के नाको गांव पूरी तरह से जैविक खेती कर रहा है और समस्त देश की लिए एक प्रेरणा बनता जा रहा है।

इस जनजातीय क्षेत्र ने जागरूकता की एक बेहतरीन मिसाल पेश करते हुए देवभूमि का सर गर्व से ऊंचा किया है जिसके लिए समस्त ग्रामवासी बधाई के पात्र हैं।

एक जैविक कार्यशाला के आयोजन के दौरान कार्यशाला में नाको को पूरी तरह से जौविक खेती गांव को प्रमाण पत्र दिया गया है।

कार्यशाला की अध्यक्षता प्रदेश कृषि मंत्री डॉ. राम लाल मारकण्डे ने की। इस दौरान कृषि मंत्री ने जौविक रूप से तैयार की गई सेब के गाड़ी को हरी झंडी दिखाकर मंडी के लिए रवाना की। इस अवसर पर हिमाचल प्रदेश कृषि मंत्री डॉ. राम लाल मारकण्डे ने कहा कि किन्नौर जिले के नाको गांव के साथ-साथ पूरे किन्नौर व लाहौल स्पीति को प्राकृतिक खेती के रूप में पहचान दिलाने को लेकर प्रयास किए जा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश को रसायन मुक्त करने और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार ने 25 करोड़ रूपए के बजट का प्रावधान रखा है। प्राकृतिक खेती के विस्तार पा जाने के बाद देश व विदेश के बड़े-बड़े खरीददार यहां आएंगे और इससे किसानों की आय में इजाफा होगा।

इस दिशा में चलने से किसानों की आय वर्ष 2022 तक दोगुनी हो जाएगी। इस दौरान हिमाडे के अध्यक्ष डॉ. आरएस मिन्हास ने कहा कि किन्नौर जिले के गांव नाको व खाव के बागवानों नें ऑर्गेनिक सेब व आलू मदर डेरी को दिए हैं।

इसके साथ ही कई और बड़ी संस्थाओं के साथ समझोता हुआ है. जैविक खेती की मांग बहुत अधिक है। इसलिए पूरे किन्नौर व स्पीति क्षेत्र में जौविक खेती के लिए किसान व बागवानों को प्रोत्साहित की जा रहा है।

इस जैविक खेती की कामयाबी देखकर  हिमाचल प्रदेश के सभी किसान बागवान जैविक खेती की ओर कदम बढ़ाने लगे हैं।

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