BYTHE FIRE TEAM


हमारा देश विविधताओं का धनी देश है। शायद ही इतनी विविधता दुनिया के किसी देश में हो। अलग-अलग जातियों और संस्‍कृतियों के बीच हमारे देश में जंगलों में जीवन बसर करने वाली बहुत सी जनजातियां भी हैं।

ऐसी ही एक जनजाति है जारवा। यह देश के केंद्र शासित प्रदेश अंडमान में रहती है। जारवा जनजाति (Jarawa Tribe) मानव सभ्यता की सबसे पुरानी जनजातियों में से एक है, जो हिंद महासागर के टापुओं पर पिछले 55,000 वर्षों से निवास कर रही है।

दिलचस्‍प बात यह है कि इस जनजाति से आम लोगों के मिलने पर पाबंदी लगी हुई है। जारवा जनजाति की चर्चा इसलिए कि समझा जा रहा है कि अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में जिस अमेरिकी टूरिस्ट की हत्‍या हुई है, उसके पीछे इस ट्राइब के आदिवासी हैं।

हालांकि, अभी इसकी पुष्‍ट‍ि नहीं हुई है। निकोबार के सेंटिनेल द्वीप में घुसने की मनाही के बावजूद बीते दिनों एक अमेरिकी पर्यटक मछुआरों की मदद से वहां जा घुसा था। रिपोर्ट्स के मुताबिक आदिवासियों ने टूरिस्ट पर तीरों से हमला किया, जिससे उसकी मौत हो गई। इस मामले में 7 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

2014 में भारत सरकार ने लगाई पाबंदी:
जारवा जनजाति के लोग हजारों साल पहले अफ्रीका से यहां आकर बसे थे। सरकार ने इस जनजाति के लोगों से आम नागरिकों या पर्यटकों के मिलने पर पाबंदी लगा रखी है, क्योंकि सरकार चाहती है कि इन लोगों की संस्कृति पर आधुनिक संस्कृति प्रभाव ना पड़े।

सरकार ने यह बैन ‘अंडमान और निकोबार द्वीप समूह (पर्यटन व्यापार) विनियमन, 2014’ के आधार पर लगाया है। एक सच यह भी है कि यह जनजाति बाहरी दखल के कारण अब खतरे में पड़ गई है।

एक आंकड़े के मुताबिक, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह पर रहने वाली जारवा जनजाति की आबादी 400 से कम रह गई है। सर्वाइल इंटरनेशनल के मुताबिक, यदि इस जनजाति की सुरक्षा और अन्य सुविधाओं पर ध्यान नहीं दिया गया तो ये खत्म भी हो सकती है।

साल 1990 तक बाहरी दुनिया के लोगों का इस जनजाति से संपर्क नहीं था। यह जनजाति अभी भी तीर-धनुष से अपने लिए शिकार करती है। बीते कुछ वर्षों में बाहरी लोगों द्वारा जनजाति के साथ बुरा बर्ताव करने और उनकी जिंदगी को खतरे में डालने के कई मामले भी सामने आए, जिसके बाद ही सरकार से बाहरी दुनिया के लोगों पर इस जनजाति से मिलने पर पाबंदी लगा दी।

साल 2012 में एक वीडियो सामने आया था, जिसमें इस जनजाति की कुछ महिलाओं को खाना देने के बदले न्यूड अवस्था में नाचने को कहा जा रहा था। ‘द गार्जियन’ ने 2014 में ही एक रिपोर्ट छापी थी। इसमें कहा गया कि कुछ बाहरी लोगों ने जारवा जनजाति की महिलाओं के साथ यौन हिंसा भी की। इसका खुलासा तब हुआ, जब पहली बार किसी जारवा जनजाति ने पब्लिक इंटरव्यू दिया।

जनजाति ने आरोप लगाया था कि शराब और गांजा पीकर बाहरी लोगों ने महिलाओं के साथ बुरा बर्ताव किया। इस मामले में 7 लोगों की गिरफ्तारी भी हुई थी। अंडमान आइलैंड्स से गुजरने वाला अंडमान ट्रंक रोड भी जनजाति के लिए मुश्किल पैदा करता है। यह सड़क जनजाति के रिहायशी इलाकों से गुजरती है और लोग इस सड़क को सफारी की तरह इस्तेमाल करते हैं।

साल 2013 में भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने इस रोड से टूरिस्ट्स के गुजरने पर रोक भी लगा दी थी, लेकिन बाद में फैसले को बदलते हुए कोर्ट ने दिन में कुछ बार गाड़ियों के जाने की इजाजत दी थी। जारवा के अलावा आइलैंड्स पर तीन और ट्राइब्स ग्रुप सेंटीनीलीज, ओन्ज और ग्रेट अंडमानीज भी रहती है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here