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BY- THE FIRE TEAM


  • अगर मॉब लिंचिंग नहीं तो दलित-मुसलमान ही क्यों जिन्दा जलाए जाते हैं- रिहाई मंच

रिहाई मंच ने चंदौली पुलिस द्वरा अब्दुल खालिक अंसारी की मौत को मॉब लिंचिंग मानने से इनकार करने और मॉब लिंचिंग के बाद उसके जलाए जाने की बात सोशल मीडिया पर शेयर करने को भ्रामक, उकसावे और साम्प्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने की कार्रवाई मानते हुए तीन लोगों की गंभीर धाराओं में गिरफ्तारी को अवैध करार दिया।

इस प्रकरण के तथ्यों के संकलन के लिए रिहाई मंच जल्द ही पीड़ित परिवार से मुलाकात करेगा।

मंच ने कहा कि ठीक इसी तरह बाराबंकी में दलित युवक की भीड़ द्वारा की गई हत्या को पुलिस ने मॉब लिंचिंग मानने से इंकार किया था।

इससे यह बात स्थापित होती है कि यूपी में मॉब लिंचिंग की घटनाओं को दर्ज न करने का पुलिस पर दबाव है। इसलिए क्योंकि योगी आदित्यनाथ खुद कहते हैं कि यूपी में मॉब लिंचिंग नहीं हुई है।

रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि मृतक अब्दुल खालिक द्वारा अपनी मृत्यु से पहले दिया गया बयान और पुलिस के दावे में भारी विरोधाभास है।

पुलिस के मुताबिक अब्दुल खालिक जादू टोना और तांत्रिक कर्म सीखने के लिए काले खां बाबा की मज़ार पर जाता था और उसने वहीं खुद को आग लगाई थी।

लेकिन पुलिस ने ऐसे किसी व्यक्ति को गिरफ्तार या पूछताछ के लिए हिरासत में लेने की बात नहीं कही जो जादू टोना और तांत्रिक कार्य जैसे अंध विश्वास परोस रहा है।

जबकि सोशल मीडिया पर मृतक के आखिरी बयान के आधार पर अपना मत शेयर करने पर पुलिस ने अति सक्रियता दिखाते हुए तीन लोगों को गंभीर धाराओं में गिरफ्तार किया है।

मृतक अब्दुल खालिक द्वारा खुद को आग लगाने की व्यावहारिकता संदिग्ध लगती है और पुलिस की थ्योरी में कोई ठोस कारण अभी तक नहीं बताया गया है।

उन्होंने कहा कि अगर जांच में अभी तक किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सका है तो तीन लोगों पर की गई कार्रवाई का क्या औचित्य हो सकता है।

मंच अध्यक्ष ने कहा कि जिस प्रकार से लिंचिंग की घटनाओं से सरकार इनकार करती रही है उससे आशंका उत्पन्न होती है कि भय का माहौल उत्पन्न कर घटना को छुपाने का प्रयास तो नहीं किया जा रहा।


द्वारा जारी
रॉबिन वर्मा
रिहाई मंच
7905888599


 

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