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BY-THE FIRE TAEM

सरकार ने देश की आर्थिक स्थिति को सुधारने तथा विकासात्मक गतिविधियों को तीव्र करने के लिए एक बड़ा कदम उठाते हुए तीन बैंको के विलय का फैसला लिया है.

इस बात की जानकारी वित्तीय सेवा के सचिव राजीव कुमार ने देते हुए कहा कि- अब  देना बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और विजया बैंक का विलय  किया जाएगा जो देश का तीसरा सबसे बड़ा बैंक होगा.

इस सम्बन्ध में ध्यान देने योग्य पहलू यह है कि -सरकार का यह निर्णय बैंकों की कर्ज देने की ताकत उबारने और आर्थिक वृद्धियों को गति देने के सरकार के प्रयासों का हिस्सा है.

उल्लेखनीय है कि पिछले साल भारतीय स्टेट बैंक ने अपनी पांच अनुषंगी इकाइयों का स्वयं में विलय किया था. साथ ही महिलाओं के लिये गठित भारतीय महिला बैंक को भी मिलाया था.

राजीव कुमार ने कहा कि बैंकिंग सेक्टर में सुधार के प्रभावी कदम उठाए जाएंगे.  बैंकिंग सेक्टर में मूलभूत सुधार किए जाएंगे. विलय पर चर्चा करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि कर्मचारियों को विलय से चिंतित नहीं होना चाहिए, किसी भी कर्मचारी को कोई परेशानी नहीं होगी. उन्होंने कहा कि सभी कर्मचारियों के लिए यह एक अच्छी खबर है.

एनपीए पर जेटली ने बताया कि 2008 से पहले 18 लाख करोड़ का लोन था. जो 2008 से 2014 के बाद ये 55 लाख करोड़ पहुंच गया. 2008 से 2014 के बीच अधिक लोन ने अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया. यूपीए सरकार ने एनपीए को छुपाने की कोशिश की. जानकारी के मुताबिक एनपीए 8.5 लाख करोड़ का था लेकिन 2.5 लाख करोड़ के बारे में सूचना दी गई.

आपको बताते चलें कि बैंकों के लगातार बढ़ते एनपीए ने देश में बड़ा आर्थिक संकट खड़ा किया है. इसके अतिरिक्त निरंतर होते बैंक घोटालों ने भी अर्थव्यस्था को कड़ा झटका दिया है.

मसलन- विजय माल्या,मेहुल चौकसे ,निरव मोदी आदि ऐसे बड़े नाम हैं जिन्होंने बैंकों की कमर तोड़ डाली है.इनमे अकेले विजय माल्या ने ९००० करोड़ रूपये का घोटाला किया है.ये तो देश के बड़े उद्योगपतियों का हाल है अभी छोटे छोटे कर्जधारकों की गड़ना ही नहीं की जा रही है.

हमारे प्रधानमंत्री ने कहा था कि- वे प्रधानमंत्री नहीं बल्कि प्रधानसेवक हैं। तो ऐसे में यह प्र्श्न उठता है कि सेवक कैसे सेवा कर रहा है कि उसके सामने से ही देश को लूट लिया जा रहा है ?

अंततः सरकार को यह नहीं भूलना चाहिए कि आरोप प्रत्यारोप करने से बेहतर समाधान की कल्पना नहीं की जा सकती बल्कि इसके लिए प्रतिबद्धता से कार्य करना होता है. सरकारों का बनाना बिगड़ना तो लगा रहता है.असल मुद्दा है देश की मजबूती और उससे कोई समझौता नहीं किया जाना चाहिए .

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