- त्रिपुरा मामले में फैक्ट फाइंडिंग टीम के सदस्यों पर यूएपीए लगाना दमनात्मक कार्रवाई
लखनऊ, 7 नवम्बर 2021: रिहाई मंच ने मुसलमानों के खिलाफ त्रिपुरा में होने वाली एकतरफा साम्प्रदायिक हिंसा की भर्तस्ना करते हुए सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ताओं की
तथ्य संकलन टीम के सदस्यों पर यूएपीए जैसी धाराओं में मुकदमा दर्ज करने को राज्य द्वारा सच्चाई को छुपाने की नीयत से की जाने वाली दमनात्मक कार्रवाई बताया है.
रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने त्रिपुरा में मुसलमानों के खिलाफ तोड़फोड़ और हिंसा की संगठित घटना की निंदा करते हुए कहा कि-
“कोरोना प्रॉटोकोल लागू होने के बावजूद हज़ारों की साम्प्रदायिक भीड़ को न केवल जुलूस निकालने की अनुमति दी गयी बल्कि इस दौरान पुलिस की भूमिका संदिग्ध और आपत्तिजनक थी.”
Two lawyers, Ansar Indori and Mukesh, have been booked and charged with UAPA by the West Agartala police after they authored and released the report 'Humanity under attack in Tripura; #Muslim lives matter'.https://t.co/aEPvGNabJv
— The Wire (@thewire_in) November 5, 2021
उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से त्रिपुरा में कई दिनों तक आतंक का यह खेल चलता रहा, मुसलमानों के खिलाफ हिंसा करने के लिए प्रेरित करने वाले नारे लगते रहे.
जबकि पुलिस ने दंगाइयों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाए भीड़ का मूक समर्थक बनी रही, लोकतांत्रिक व्यवस्था और कानून के शासन में इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता.
राजीव यादव ने कहा कि त्रिपुरा सरकार और पुलिस प्रशासन ने पहले पूरे मामले पर पर्दा डालने का प्रयास किया लेकिन जब सुप्रीम कोर्ट के वकीलों की टीम ने तथ्य संकलन कर
राज्य सरकार और त्रिपुरा पुलिस के प्रयासों को विफल कर दिया तो बदले की भावना के तहत तथ्य संकलन टीम के सदस्यों एडवोकेट मुकेश, अंसार इंदोरी, एहतेशाम हाशमी और
अमित श्रीवास्तव समेत 72 शोसल मीडिया यूज़र्स के खिलाफ साम्प्रदायिक वैयमनस्य फैलाने समेत यूएपीए के तहत मुकदमा दर्ज कर नोटिस भेज दिया.
उन्होंने बताया कि हिंसा करने वालों के खिलाफ एफआईआर तक न करना और हिंसा की सच्चाई को सार्वजनिक करने पर यह क्रूर कार्रवाई साबित करती है कि
यह सीधे-सीधे दमनात्मक कदम है, त्रिपुरा पुलिस और सरकार को अपने अहंकार से बाहर निकल कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करना चाहिए.