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Gorakhpur: आपसे हम रोजगार मांग रहे हैं ताकि गरीबों से बाहर निकल सकें, हम महंगाई रूपी अपराध से अपना जीवन बचाना चाहते हैं.

हम फ्री शिक्षा, चिकित्सा, न्याय एवं संचार चाहते हैं ताकि हमारे बच्चे पढ़ सकें, दवाई पा सकें, न्याय हासिल कर सकें एवं पैसे के अभाव में कहीं आने-जाने की स्वतंत्रता के अधिकार से वंचित न रह जाए?

आप हमें मंदिर, मूर्ति, मदिरालय, एक्सप्रेस वे, एयरपोर्ट, वंदे भारत ट्रेन दे रहे हैं. हम यह लेकर क्या करेंगे? आने वाले 100 वर्षों तक हम और हमारी पीढ़ी

आपके ‘वंदे भारत’ एक्सप्रेस वे, ‘इंटरनेशनल एयरपोर्ट’ पर पैर रखने लायक नहीं हो पाएंगे. GST टोल टैक्स, डीजल, पेट्रोल, सीएनजी गैस सिलेंडर की

“कीमतों में वृद्धि” कर आपने हमारी चंमडी उधेड़ ली, हम तो किसी तरह जीवन जी रहे हैं. प्रधानमंत्री जी मैं बार-बार आप यह लिख रहा हूं कि

“आप जो कुछ किये हैं उसे “जस का तश” रख दूंगा तब आपकी सत्ता का पतन हो जाएगा, क्योंकि इतिहास पुनर्लेखन की एक विद्या यह भी है कि

इतिहासकार जो कुछ देखे उसे “जस का तस रख दे” मैं यही चाहता हूं कि कुछ लोकतंत्र एवं संविधान कल के लिए भी छोड़िए ताकि आने वाली पीढ़ियां यह जान सके कि भारत में लोकतंत्र’ एवं संविधान’ का शासन था.

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