सुशील भीमटा

BYसुशील भीमटा


हिमाचल प्रदेश में विकास की लहर को रुके एक अरसा हुआ और भाजपा सरकार द्वारा प्रदेश की जनता का ध्यान बांटनें के लिए राजधानी शिमला के नाम बदलनें का विवादित मुद्दा खड़ा कर दिया गया।

आज हिमाचल के ऐतिहासिक स्थल शिमला का नाम बदलकर श्यामला रखने की बात भाजपा मंच से उठाई जा रही है जो साफ तौर पर देवभूमि हिमाचल की जनता की भावनाओं से सीधे तौर पर खिलवाड़ है।

जैसाकि सब जानते हैं कि शिमला समझौते और एक रमणीय पर्यटन स्थल के नाम से इतिहास में दर्ज ये शिमला नाम अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर अपना एक अलग स्थान रखता है। तो क्या इसके नाम को बदला जाना जायज है?

कतई नहीं! शिमला के नाम को श्यामला नाम देना हिमाचल प्रदेश के ऐतिहासिक महत्व को आघात पहुंचाना होगा। प्रदेश की जनता इस बात से बिलकुल आक्रोश में है और सरकार की इस भटकाव वाली प्रथा से आहत है।

राजधानी शिमला में पानी, बिजली, नशा , तस्करी, रेप, दुराचार, सड़कों, बागवानों के सेबों की पेमेंट ना मिलनें जैसे अहम मुद्दों से जनता के साथ-साथ विपक्ष का ध्यान बांटने के लिए ये भटकाव के तरीके अपनाए जा रहे हैं। ताकि जनता और विपक्ष इसी विरोध में उलझकर रह जाए।

(Photo by Deepak Sansta/Hindustan Times via Getty Images)

सियासी गलियारों से उठती ये आवाज सरकार तंत्र पर सवालिया निशान लगा रही है कि राजधानी शिमला में व्यवस्था के नाम पर कुछ भी नजर नहीं आता विकास कार्य ठप्प पड़े हैं।

नशे के कारोबारी बेखौफ़ हैं, जनता बरसात के समय में पानी ,बिजली की समस्या से झूझती रही व लोग गाड़ियों में भर-भर कर ठियोग, शोघी, मशोबरा आदि स्थानों यानि 25-25, 30-30 किलोमीटर दूर से पानी ढोती रही। यहां तक की पानी खरीदकर गुजारा करती रही मगर सरकार और सरकारी तंत्र अपने मंत्रियों के लिए मंहगी गाड़ियां खरीदनें और अन्य सुख सुविधाओं में व्यस्त थे।

अभी भी शिमला जैसे क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओं का आभाव होना सरकार की लापरवाही और नाकामियों को दर्शाता है।

(Photo by Deepak Sansta/Hindustan Times via Getty Images)

अवैध कब्जों के दौर से गुज़रता हिमाचल, सरकार की गलत नीतियों का फल भुगत रहा है क्योंकि भाजपा सरकार के नेतृत्व में ही अवैध कब्जों की नियमितीकरण की नीति का झांसा जनता को दिया गया था और अवैध भूमि के फाईल्स बनवाई गई थीं और कहा गया था कि इन्हें नियमित किया जाएगा।

आज जब प्रदेश में अवैध कब्जों को हटाया जा रहा है, लोग बेघर और भूमिहीन हो रहें हैं और प्रदेश में नशा, रेप व अराजकता जैसी बुराइयां चरम सीमा पर हैं और विकास के नाम पर सिर्फ जुमले फेके जा रहे हैं तो जनता के ध्यान इन मुद्दों से भटकानें के लिए राजधानी शिमला के नाम को बदलनें का मुद्दा खड़ा कर दिया गया।

शिमला शिमला ही रहे तो हर्ज क्या है? क्यों इस विवाद को उठाया गया? क्यों इतिहास से छेड़छाड़ की जाए? क्यों शिमला समझौते वाले इस रमणीय पर्यटन स्थान को श्यामला बनाया जाए? इतिहास का महत्व होता है इतिहास नया लिखा जाता है मिटाया नहीं जाता।

लेखक स्वतंत्र विचारक हैं और हिमाचल प्रदेश में रहते हैं।

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