PTI/IMAGE

BY-THE FIRE TEAM


देश में शासन वयवस्था का चौथा स्तम्भ कहा जाने वाला पत्रकारिता विभाग आज अपने विभाग के लोगों के लिए न्याय की गुहार लगा रहा है.
जी हाँ, पत्रकारों को लेकर एक ऐसी खबर

का खुलासा हुआ है जिसे सभ्य समाज के लिए पचाना संभव नहीं है. इस विषय में यूनेस्को ने बताया है कि वर्ष 2006 से लेकर 2018 तक कीदूनिया भर में पत्रकारों से सम्बन्धित घटनाओं का जो आँकड़ा इकट्ठा हुआ है,

वह बहुत ही गंभीर है. आपको बता दें कि अलग-अलग जगहों पर लगभग 1109 पत्रकारों की हत्या जा चुकी है.

 

जो राजनीति, अपराध और भ्रष्टाचार पर बेबाकी के साथ अपनी सच्ची पत्रकारिता धर्म निभा रहे थे और बेहिचक, तथा बिना किसी दबाव को बर्दाश्त किये रिपोर्टिंग करने के लिए जाने जाते थे.

इन पत्रकारों के लिए सबसे दुखद पहलू यह है कि 90 फीसदी से अधिक अपराधियों को कोई सजा नहीं दी जा सकी.

उदाहरण के लिए सऊदी अरब में खशोगी की हत्या का प्रसंग हो अथवा भारत में गौरी लंकेश का मामला, को देखा जा सकता है जिसे कानून वयवस्था से अभी तक न्याय की दरकार है.

यूनेस्को की इस रिपोर्ट में उन देशों की सूची भी जारी की गई है जहाँ पत्रकारिता करना बेहद खतरनाक है जो निम्नलिखित हैं-पत्रकारिता के लिहाज से अरब देश सबसे खतरनाक हैं,

जहाँ अनुपात लगभग 30 फीसदी है. जबकि दूसरे स्थान पर लातिनी अमेरिका और कैरिबिया के देश हैं और यहाँ हत्याओं का प्रतिशत 26 है. इसके बाद एशिया

 

और प्रशांत क्षेत्र हैं जहाँ 24 प्रतिशत का आँकड़ा प्राप्त हुआ है.

अतः हमें चौथे स्तम्भ को किसी भी मायने में बचाना होगा क्योंकि इसके अभाव में हम किसी बेहतर और स्वस्थ लोकतंत्र की स्थापना नहीं कर सकते हैं,

इस सच्चाई को संयुक्त राष्ट्र संगठन ने भी स्वीकार किया है.

 

 

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here