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  • माँ के आंख मूंदते ही घर अकेला हो गया, मैंने जन्नत तो नहीं देखी है माँ देखी है

लखनऊ: अपनी शायरी से दर्शकों को भाव विभोर कर देने वाले मशहूर शायर मुनव्वर राणा का दिल का दौरा पड़ जाने की वजह से निधन की सूचना प्राप्त हुई है.

वह पिछले लंबे समय से बीमारियों से ग्रसित थे जिनका इलाज चल रहा था. 14 जनवरी को दिल का दौरा पड़ जाने के कारण लखनऊ की पीजीआई में भर्ती राणा ने अंतिम सांसें लिया.

बताया जा रहा है कि पीजीआई में जाने से दो दिनों पूर्व वह लखनऊ में ही मेदांता हॉस्पिटल में भर्ती थे.

उन्हें क्रॉनिक किडनी की समस्या थी जिसके कारण हफ्ते में तीन बार उनका डायलिसिस करना पड़ता था.

यदि उनकी कविताओं, ग़ज़लों तथा शायरियों की फेहरिस्त को देखें तो इनके द्वारा रचित ‘मां’ पर कविता को लोगों ने खूब पसंद किया था. 

मुनव्वर राणा को साहित्य अकादमी पुरस्कार तथा माटी रत्न सम्मान से सम्मानित किया गया था. जब उन्होंने सहिष्णुता के मुद्दे पर अपने पुरस्कार लौटना शुरू किया तो काफी चर्चा में आ गए थे.

उनकी रचनाओं के लिए उन्हें अमीर खुसरो पुरस्कार, मिर्जा गालिब पुरस्कार, डॉ जाकिर हुसैन पुरस्कार तथा सरस्वती समाज पुरस्कार से नवाजा गया है.

वैसे तो मुनव्वर राणा का जन्म 26 नवंबर 1952 को उत्तर प्रदेश के रायबरेली में हुआ था किंतु इनका अधिकांश जीवन कोलकाता में बीता.

इन्होंने भारत तथा कई देशों में मुशायरों के जरिए अपनी उपस्थिति दर्ज कराई. वर्तमान में उनकी बेटी सुमैया समाजवादी पार्टी की सदस्या हैं.

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