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तहबरपुर(आजमगढ़): ‘जनमुक्ति मोर्चा’ व ‘मजदूर किसान एकता मंच’ के संयुक्त तत्वावधान में मानव इतिहास के महानतम क्रांतिकारी

चिंतक, दार्शनिक व वैज्ञानिक समाजवाद के प्रवर्तक कार्ल मार्क्स की 204 वीं जयंती पर डॉ. अंबेडकर पुस्तकालय (आतापुर) में गुरुवार को विचार गोष्ठी का आयोजन हुआ.

“मार्क्स और उनकी शिक्षाएं” इस विचार गोष्ठी का विषय था जिसके गोष्ठी प्रारंभ करने से पहले “गांव-जवार” नामक अखबार का विमोचन हुआ.

इसमें संगठन के बिछुड़े साथी कॉमरेड विश्वम्भर ओझा व डॉक्टर दूधनाथ से जुड़ी स्मृतियों को प्रकाशित किया गया है.

गोष्ठी के दौरान मजदूर-किसान नेताओं ने कार्ल मार्क्स के संघर्ष व सिद्धांतों पर विस्तार से प्रकाश डाला.

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए ब्रिजेन्द्र सेनानी ने कहा कि- “मार्क्स महज खयाली सपने देखने वाले भाववादी, किताबी दार्शनिक नेता या संत नहीं थे

बल्कि अपने समय में सीधे क्रांतिकारी मजदूर आन्दोलनों की प्रयोगशाला में जुड़ गये. उनके वर्ग-संघर्ष की भट्ठी से बौखलाए शासक वर्गों

द्वारा उन्हें आजीवन जर्मनी, फ्रांस, बेल्जियम व इंग्लैंड जैसे कई देशों से निर्वासन झेलना पड़ा, जेल गये. भयंकर पारिवारिक आर्थिक तंगी व अभाव के लिये भी मजबूर हुए.

इतना ही नहीं इन्होंने अपने समय के प्रतिक्रियावादी विचारों व दर्शन का भी खंडन किया. इस मौके पर मुख्य वक्ता राजेश आज़ाद ने कहा कि-

“मार्क्स ने कहा था कि भौतिक ताकत को भौतिक ताकत से ही हटाया जा सकता है. देश में लोकतंत्रविरोधी ताकत का जवाब देने की यह कुंजी है.”

वक्ताओं में अतुल, रामकरन, एकादशी यादव, राजदेव, बेचन, उदयभान, सम्भूनाथ, कांशीनाथ, रामसूरत भारतीय, रामजतन चौहान, कृष्ण मोहन उपाध्याय आदि थे.

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