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गोरखपुर: मिली जानकारी के मुताबिक उत्तर प्रदेश लोक निर्माण विभाग के वार्षिक लेखा परीक्षण रिपोर्ट का यदि अवलोकन किया जाए तो प्रतिवर्ष

अरबों-खरबों रुपए के गंभीर वित्तीय अनिमियता व आर्थिक अपराध को अंजाम देते हुए अभियंताओं द्वारा सरकारी धनराशि का बंदरबांट किया जा रहा है. 

इसकी पुष्टि मुख्य अभियंता लोक निर्माण विभाग के खण्डीय कार्यालयों में सीएजी आधारित लगभग करोड़ों रुपए के कारित भ्रष्टाचार के विरुद्ध तीसरी आंख मानवाधिकार संगठन

द्वारा 871 दिनों से प्रचलित सत्याग्रह संकल्प से किया जा सकता है. परन्तु बड़े ही हैरत की बात है कि मुख्य मंत्री के गृह नगर में 871 दिनों से भ्रष्टाचार के विरुद्ध

प्रचलित सत्याग्रह संकल्प पर सरकार के समूचे तंत्र कार्रवाई करने में अब तक विफल हैं. अब सवाल उठता है कि मुख्यमंत्री को आए दिन गोरखपुर आगमन पर भ्रष्टाचार के विरुद्ध प्रचलित सत्याग्रह संकल्प नहीं दिखता?

सत्याग्रह पर बैठे सत्याग्रहियों ने बेबाकी से प्रश्न करते हुए पूछा है कि क्या सरकार के अन्वेषण विभाग द्वारा प्रेषित दैनिक रिपोर्ट के अनुरूप सत्याग्रह संकल्प संज्ञान में नहीं आता?

क्या भ्रष्टाचार के विरुद्ध अहिंसात्मक सत्याग्रह संकल्प वैधानिक कार्यवाही के पात्र नहीं है? ये सभी अनुउत्तरित सवाल कहीं न कहीं इस बात की तरफ

इशारा करते हैं कि उत्तर प्रदेश लोक निर्माण विभाग में भ्रष्टाचार के प्रचलित व्यापार को सरकार और सरकार के करिंदों की संलिप्तता व संरक्षण प्राप्त है.

शायद यही कारण है कि अभियंताओं द्वारा निरंकुश भ्रष्टाचार के व्यापार पर सरकार कार्रवाई करने में अक्षम है जिसके परिणाम स्वरूप मानवाधिकार

कार्यकर्ताओं द्वारा भ्रष्टाचार के विरुद्ध प्रचलित सत्याग्रह संकल्प के बिंदुवार मांगों पर सरकार कार्रवाई करने में लाचार व बीमार है. 

अगर यह कहा जाए कि मानवाधिकार सत्याग्रहियों व संवैधानिक व्यवस्थाओं के साथ सरकार की कार्य प्रणाली दोयम दर्जे की है तो यह अतिशयोक्ति नहीं होगा.
बेवाक कही

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