BYTHE FIRE TEAM

न्यायमूर्ति रंजन गोगोई बृहस्पतिवार को भारत के प्रधान न्यायाधीश नियुक्त किये गये।

कानून मंत्रालय ने एक अधिसूचना में यह जानकारी दी।

न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा के प्रधान न्यायाधीश के पद से सेवानिवृत होने के बाद वह तीन अक्टूबर को अपना पदभार ग्रहण करेंगे।

न्यायमूर्ति गोगोई का 13 महीने से थोड़ी अधिक अवधि का कार्यकाल होगा और वह 17 नवंबर, 2019 को सेवानिवृत होंगे।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने न्यायमूर्ति गोगोई की नियुक्ति संबंधी ‘वारंट’ पर हस्ताक्षर किये, जिसके बाद उनकी नियुक्ति की अधिसूचना जारी की गयी।

देश के अगले प्रधान न्यायाधीश बनने जा रहे न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने न्यायपालिका के शीर्ष पद तक पहुंचने के लिए एक लंबा सफर तय किया है और वह इस पद पर पहुंचने वाले पूर्वोत्तर के पहले शख्स हैं।

अठारह नवंबर, 1954 को जन्मे न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने डिब्रूगढ़ के डॉन बोस्को स्कूल से अपनी स्कूली शिक्षा अर्जित की और दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से इतिहास की पढ़ाई की।

असम के पूर्व मुख्यमंत्री केशव चंद्र गोगोई के बेटे न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने 1978 में वकालत के लिए पंजीकरण कराया था। उन्होंने संवैधानिक, कराधान और कंपनी मामलों में गुवाहाटी उच्च न्यायालय में वकालत की।

उन्हें 28 फरवरी, 2001 को गुवाहाटी उच्च न्यायालय का स्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया गया था।

उनका नौ सितंबर, 2010 को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में तबादला किया गया था। उन्हें 12 फरवरी, 2011 को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। वह 23 अप्रैल, 2012 को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश नियुक्त किये गये।

न्यायमूर्ति रंजन गोगोई (63) जनवरी में उच्चतम न्यायालय के तीन अन्य वरिष्ठतम न्यायाधीशों के साथ संवाददाता सम्मेलन कर तथा उसके चार महीने बाद अपने एक बयान से सुर्खियों में आए थे।

उन्होंने कहा था, ‘‘स्वतंत्र न्यायाधीश और शोर मचाने वाले पत्रकार लोकतंत्र की पहली रक्षा रेखा हैं। ’’ उनका यह भी कहना था कि न्यायपालिका के संस्थान को आम लोगों के लिए सेवायोग्य बनाए रखने के लिए सुधार नहीं क्रांति की जरुरत है।

उन्होंने असम की राष्ट्रीय नागरिक पंजी, सांसदों और विधायकों की विशेष तौर पर सुनवाई के लिए विशेष अदालतों के गठन, राजीव गांधी हत्याकांड के मुजरिमों की उम्रकैद की सजा में कमी, लोकपाल की नियुक्ति समेत विभिन्न विषयों पर अहम फैसले दिये हैं।

(पीटीआई-भाषा)

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