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मिली सूचना के मुताबिक देश के अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सोशल मीडिया की स्वतंत्रता का हवाला देते हुए कहा है कि-“स्वस्थ लोकतंत्र के लिए जरूरी है कि लोगों को अभिव्यक्ति की आजादी मिले तथा इस पर कहीं कोई अंकुश नहीं लगाया जाना चाहिए.”

आपको बताते चलें कि सोशल मीडिया के जरिए अनेक लोगों ने सर्वोच्च न्यायालय पर ऐसी टिप्पणियां कर दी जो न्यायालय की अवमानना कहा जा सकता है, हालांकि लोगों के दिए गए विचारों

का एक दूसरा पहलू भी है जो विश्लेषण की मांग करता है. इस संबंध में अटार्नी जनरल ने कहा है कि मेरे पास बहुत से आग्रह आ रहे हैं कि मैं अदालत की अवमानना के बिंदु पर कार्यवाही शुरू करने की मंजूरी दूँ.

किंतु इस मामले में मैंने बहुत ही सयंमित रुख अपनाया है. उम्मीद है कि जल्द ही इस तरह के आग्रह समाप्त हो जाएंगे. यदि अवमानना के मुद्दे को देखा जाए तो

सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता एवं कार्यकर्ता प्रशांत भूषण को अदालत की अवमानना में दोषी ठहराते हुए उन पर ₹1 का जुर्माना लगाया था.

जबकि दूसरी ओर स्टैंड अप कॉमेडियन कुणाल कमरा के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए 11 लोगों को मंजूरी दी थी. रचित तनेजा ने आत्महत्या मामले में रिपब्लिक टीवी के एडिटर अर्णब गोस्वामी को सुप्रीम कोर्ट द्वारा जमानत दिए जाने पर सवाल उठाते हुए कई ट्वीट किया था.

किसी भी शख्स के खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्यवाही शुरू करने के लिए या तो अटार्नी जनरल या सॉलीसीटर जनरल की मंजूरी लेना आवश्यक होता है.

वेणुगोपाल ने 2017 में देश के अटॉर्नी जनरल के रूप में शपथ ली थी हालांकि उन्हें कालांतर में 1 वर्ष का कार्य विस्तार दिया गया और अब इनका कार्यकाल जून 2021 में समाप्त होगा.

वेणुगोपाल ने कहा कि मैं अब 89 वर्ष का हो चुका हूं और जल्द ही 90 का हो जाऊंगा इतनी उम्र में दूनिया में शायद ही कोई अटॉर्नी जनरल का काम कर रहा होगा.

यह बहुत ही मुश्किल काम है, हफ्ते में 7 दिन मैं काम करता हूं. इस अवस्था के बाद मुझे नहीं लगता कि और काम करने की जरूरत है.

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