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BY-THE FIRE TEAM


बीते दिनों में जिस तरह की समस्या किसान झेल रहे हैं चाहे सूखा हो अथवा समय पर बारिश न होना जिसके कारण बेचारा अन्नदाता आत्महत्या जैसा कृत्य करने को बेबस हो जाता है.

यही वजह है कि अब सरकार ने खासकर महाराष्ट्र में इस चुनौती का हल ढूँढ निकाला है. मिली सूचना के मुताबिक सूखे की मार झेल रहे महाराष्ट्र के किसानों को राहत देने के लिए राज्य सरकार ने कृत्रिम बारिश (क्लाउड सीडिंग) कराने का फैसला किया है. राज्य सरकार ने इसके लिए 30 करोड़ रुपए का फंड आवंटित किया है.

यह दूसरा मौका है जब राज्य में कृत्रिम बारिश करवाने की तैयारी की जा रही है. इससे पहले साल 2015 में राज्य सरकार ने नासिक में यह प्रयास किया था. लेकिन तकनीकी खामियों के चलते यह फेल हो गई थी.

कृत्रिम बारिश के विषय में मौसम का पूर्वानुमान लगाने वाली निजी एजेंसी स्काईमेट के वॉइस प्रेसीडेंट और चीफ मेट्रोलॉजिस्ट महेश पलावत ने बताया कि क्लाउड सीडिंग के लिए बादल होना जरूरी होते हैं. बिना बादल के क्लाउड सीडिंग नहीं की जा सकती.

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बादल बनने पर सिल्वर आयोडाइड और दूसरी चीजों का छिड़काव किया जाता है जिससे भाप पानी की बूंदों में बदलती है. इसमें भारीपन आता है और गुरुत्वाकर्षण के कारण यह पानी की बूंदों के रूप में पृथ्वी पर गिरती हैं.

पलावत  की माने तो भारत में क्लाउड सीडिंग का सक्सेस रेट ज्यादा नहीं है लेकिन बादल साथ दें तो इसे करना संभव है. महाराष्ट्र के विदर्भ में जून के पहले हफ्ते में बादल बनने की संभावना है, ऐसे में यदि क्लाउड सीडिंग करवाई जाती है तो इसका फायदा मिल सकता है.

क्या होती है कृत्रिम वर्षा ?

कृत्रिम वर्षा (क्लाउड सीडिंग) एक ऐसी तकनीक है जिसके जरिए बादलों की भौतिक अवस्था में कृत्रिक तरीके से बदलाव लाया जाता है. ऐसी स्थिति पैदा की जाती है, जिससे वातावरण बारिश के अनुकूल बने.

इसके जरिए भाप को वर्षा में बदला जाता है. इस प्रक्रिया में एयरक्राफ्ट या आर्टिलरी गन के जरिए सिल्वर आयोडाइड और सूखे बर्फ को बादलों पर फेंका जाता है.

अब कुछ शोधों के बाद हाइग्रस्कापिक मटेरियल जैसे नमक का भी इसमे इस्तेमाल होने लगा है तथा इसे ठंड में स्नोफॉल बढ़ाने के लिए भी इस्तेमाल करने में भी देखा जा रहा है.

विशेष :

विंसेंट शेफर ने जुलाई 1946 में क्लाउड सिडिंग का सिद्धांत खोजा तथा पहली बार न्यूयॉर्क फ्लाइट के जरिए प्राकृतिक बादलों को बदलने का प्रयास किया गया.

विश्व मौसम संगठन के अनुसार, अभी तक 56 देश कृत्रिम बारिश का इस्तेमाल कर चुके हैं. इसमें संयुक्ति अरब अमीरात से लेकर चीन तक शामिल हैं.

यूएई ने जहां पानी की कमी दूर करने के लिए इसका इस्तेमाल किया तो वहीं चाइना ने 2008 में समर ओलम्पिक की ओपनिंग सेरेमनी के पहले प्रदूषण को खत्म करने के लिए इसका इस्तेमाल किया था.

यूएस में स्की रिसोर्ट के जरिए क्लाउड सीडिंग का इस्तेमाल स्नोफॉल के लिए भी किया जाता है. वहीं चाइना अब सूखे से बचने के लिए इस सिस्टम का इस्तेमाल कर रहा है.

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