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इतिहास के किसी कालखंड में भारत की धरती पर संतों/महात्माओं को पूजनीय तथा समाज का कुशल चितेरा माना जाता था.

किंतु आज संतो के ऊपर जिस तरह के भ्रष्टाचार से लेकर यौन शोषण करने जैसे आरोप लग रहे हैं, उससे कहीं ना कहीं ‘संत’ शब्द दिनोंदिन संदेह के दायरे में घिरता जा रहा है.

कर्नाटक के श्री मुरुघा मठ के मुख्य पुजारी शिव मूर्ति शरणारू को नाबालिग लड़कियों के यौन शोषण के आरोप में गिरफ्तार करके 14 दिन दिनों की न्यायिक हिरासत में चित्रदुर्ग जिले में भेज दिया गया है.

इनके ऊपर बच्चों के यौन शोषण के तहत मामला दर्ज किया गया है. इतना ही नहीं शरणारु के ऊपर ‘अनुसूचित जाति/जनजाति अत्याचार निवारण कानून’

के अंतर्गत भी आरोप लगाया गया है क्योंकि लड़कियों के हुए यौन शोषण में एक दलित लड़की भी शामिल है.

हालांकि शरणारू ने दावा किया है कि उनके खिलाफ लगाए गए सभी आरोप बेबुनियाद तथा साजिश का हिस्सा हैं.

संपूर्ण मामले में ‘राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग’ ने महंत के विरुद्ध यौन उत्पीड़न के आरोपों की कर्नाटक पुलिस से जांच रिपोर्ट भी तलब किया है.

इस बात की पड़ताल की जा रही है कि जिन नाबालिक लड़कियों ने यौन उत्पीड़न का आरोप शरणारू पर लगाया है, उसकी वास्तविकता क्या है?

इस आरोप के बाद मुरूघा मठ के छात्रों को यहां से सरकारी छात्रावास में स्थानांतरित कर दिया गया है इसके अलावा कई माता-पिता अपने बच्चों को घर लेकर चले गए.

 

 

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