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रिहाई मंच ने सीतापुर में एनएपीएम राष्ट्रीय संयोजक ऋचा सिंह की हाउस अरेस्टिंग और वाराणसी के किसान नेता रामजनम यादव को वाराणसी प्रशासन द्वारा गुंडा एक्ट के तहत भेजी गई नोटिस को किसान आंदोलन के दमन की साजिश बताते हुए कड़ी निंदा किया है.

रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार लगातार किसान आनदोलन में जाने वालों को प्रताड़ित कर रही है. रामजनम यादव को गुंडा एक्ट का नोटिस दिया जाना सरकार के दमनात्मक कार्रवाइयों की कड़ी है.

उन्होंने कहा कि- रामजनम यादव समाज और जनता से जुड़े मुद्दों पर हमेशा सक्रिय रहने वाले किसान नेता हैं, उनसे किसी को कोई खतरा नहीं बल्कि सरकार विरोध के स्वर को अपने लिए खतरा समझती है.

मुहम्मद शुऐब ने कहा कि रामजनम यादव किसान नेता हैं और स्वराज इंडिया से जुड़े हैं. पिछले दिनों वह किसान आंदोलन को समर्थन देने के लिए दिल्ली गए हुए थे,

जिससे खिन्न प्रदेश सरकार के इशारे पर वाराणसी प्रशासन ने उनको गुंडा एक्ट का नोटिस दिया है जिसका कोई कानूनी आधार मौजूद नहीं है.

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उन्होंने आरोप लगाया कि वाराणसी पुलिस ऐसे आधा दर्जन से अधिक सक्रिय नेताओं को अलग-अलग तरीके से परेशान कर रही है और किसान आनदोलन से विरत रहने के लिए डरा धमका रही है.

गौरतलब है कि इससे पहले सीएए आंदोलन के दौरान भी रामजनम यादव को गिरफ्तार किया गया था. मंच अध्यक्ष ने कहा कि-“सीतापुर में संगतिन किसान मज़दूर संगठन की नेत्री

और एनएपीएम कि राष्ट्रीय संयोजक ऋचा सिंह को लखनऊ आते हुए रास्ते में पुलिस द्वारा बिना कोई कारण बताए रोक लिया जाना

और उसके बाद बिना किसी कानूनी औपचारिकता पूरी किए अवैध तरीके से उनको उनके ही घर में नज़रबंद कर दिया जाना, इसी दमनात्मक कार्रवाई का हिस्सा है.”

इसके अलावा पश्चिमी उत्तर प्रदेश से ट्रैक्टर मालिक किसानों को भी किसान आंदोलन में भाग लेने से रोकने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं.

प्रदेश के कई भागों से किसान आंदोलन के समर्थन में जाने वालों से पुलिस प्रशासन अनावश्यक पूछताछ करने और धमकियां देने की खबरें मिल रही हैं.

उन्होंने आरोप लगाया कि यह सब केवल इसलिए किया जा रहा है कि किसानों की उपज को मुनाफाखोर पूंजीपतियों की तिजोरी में डालकर पूंजी के बल पर सत्ता बनाए रख सके

तथा मज़दूरों, किसानों और वंचित समाज को रोटी का मुहताजी के दलदल में ढकेल कर उनके मुंह पर ताला लगा दे.

 

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