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देश‌ में प्रेस की आजादी अपने में महत्वपूर्ण मायने रखती है किंतु इसी आजादी का लाभ उठाकर कुछ न्यूज़ चैनल भड़काऊ बयानबाजी का प्लेटफार्म बन गए हैं.

ऐसा सर्वोच्च न्यायालय ने न्यूज़ चैनलों में होने वाली बहस की गुणवत्ता को लेकर टिप्पणी किया है.

वर्ष 2021 में 17 और 19 दिसंबर को हरिद्वार में आयोजित हुए धर्म संसद में यति नरसिंहानंद द्वारा दिए गए भड़काऊ भाषण

के विषय में गठित एसआईटी पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में कहा है कि राजनेताओं ने इसका सबसे अधिक फायदा उठाया है क्योंकि टेलीविजन चैनल ही उन्हें मंच देते हैं.

पिछले वर्ष हरिद्वार में आयोजित धर्म संसद कार्यक्रम के दौरान जिस तरह के भड़काऊ भाषण दिए गए, उसका संज्ञान लेकर

“जस्टिस के एम जोसेफ ने कहा कि टीवी पर 10 लोगों को बुलाया जाता है किंतु वास्तव में जो अपनी बात रखना चाहते हैं उन्हें शांत कर दिया जाता है.”

सर्वोच्च न्यायालय यहीं नहीं रुका बल्कि न्यूज़ चैनलों की जिम्मेदारी पर भी प्रश्न उठाते हुए कहा कि इनको ध्यान रखना चाहिए कि बहस के दौरान कोई भड़काऊ भाषण न दे किंतु एंकर ऐसा कभी नहीं करते.

ऐसे में जरूरत है कि एंकरों की भी जिम्मेदारी तय हो. अगर किसी एंकर के कार्यक्रम में भड़काऊ कंटेंट होता है तो उसको ऑफ एयर करने के साथ ही जुर्माना लगना चाहिए.

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