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यूपी के दलित चेहरे के रूप में पहचान रखने वाले उत्तर प्रदेश के पूर्व महानिदेशक डीजीपी रहे बृजलाल राज्यसभा में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर निर्विरोध रूप से सदस्य निर्वाचित हो गए हैं.

इनके पहले डीजी रहे बीपी सिंघल भी राज्यसभा पहुंचे थे दोनों ही व्यक्तियों के संबंध में खास समानता यह है कि इन दोनों अफसरों को भाजपा ने ही राज्य सभा जाने का मौका दिया था, उस समय अटल बिहारी वाजपेई की सरकार थी.

आपको यहां बताते चलें कि उत्तर प्रदेश में दलित उत्पीड़न की अनेक घटनाओं में बृजलाल ने भाजपा का बचाव करने में काफी अहम भूमिका निभाया है.

ऐसा माना जा रहा है कि यह उसी का ईनाम है कि इन्हें दलित नेता के तौर पर लांच करके बीजेपी दलितों का वोट अपने पक्ष में करना चाहती है.

बृजलाल के संबंध में ऐसा भी बताया जाता है कि इनकी गिनती एक समय बसपा सुप्रीमो मायावती के पसंदीदा अफसरों में होती थी. जब मायावती उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री थी तो इन्होंने

वर्ष 2011 में 2 पुलिस अफसरों की वरिष्ठता को दरकिनार करके बृजलाल को उत्तर प्रदेश पुलिस के डीजीपी बना दिया था. यह बात दीगर है कि भाजपा सहित अन्य विपक्षी दलों की शिकायत पर

वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव से पहले ही इन्हें पद से हटा दिया गया और डीजीपी के रूप में यह मात्र 3 महीने का कार्यकाल पूरा कर पाए.

ऐसा अनुमान लगाया जा रहा था कि सेवानिवृत्त होने के पश्चात बृजलाल बसपा का दामन थामेंगे किंतु सबको चौंकाते हुए उन्होंने 2015 में भाजपा में सम्मिलित हो गए.

सिद्धार्थनगर जिले के दलित परिवार में जन्म लेने वाले बृजलाल 2018 में योगी आदित्यनाथ सरकार के द्वारा राज्य के अनुसूचित जाति और जनजाति आयोग का अध्यक्ष बनाया गया.

वर्तमान में भाजपा ने इन्हें राज्यसभा भेजकर पार्टी में इनके कद को बढ़ाने का कार्य किया है.

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