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  • वक़्फ़ के लुटेरों में आम से लेकर खास तक शामिल

(मनव्वर रिज़वी)

गोरखपुर: भारतीय रेल और सेना के बाद देश के सबसे अधिक भूभाग पर स्थित आराज़ी वक़्फ़ बोर्ड के पास है. हर राज्य के अपने अलग वक़्फ़ बोर्ड के अलावा केंद्रीय व्यवस्था के लिए एक सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड भी स्थापित है.

सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड ने वक़्फ़ सम्पत्तियों की जानकारी ऑनलाइन करने के लिए 2020 में WAMSI पोर्टल की स्थापना किया और वक़्फ़ की सम्पत्ति से

सम्बंधित जानकारियां फीड करने का निर्देश दिया ताकि देश भर की वक़्फ़ सम्पत्तियों का रिकार्ड ऑनलाइन उपलब्ध हो सके. वक़्फ़ सम्पत्ति पर कब्जे की बात करें तो

आम लोगों से लेकर खास लोगों समेत सरकार के विभिन्न विभागों के साथ ही मौका मिलने पर इंसाफ करने वाले न्यायमूर्ति तक ने वक़्फ़ सम्पत्ति पर कब्ज़ा करने से गुरेज़ नहीं किया.

मतलब यह है कि जिसको जहां मिला उसने वक़्फ़ पर कब्ज़ा करने का लोभ नही छोड़ा. अगर आपकी थोड़ी बहुत दिलचस्पी मुहर्रम के दिनों में गोरखपुर शहर में स्थापित होने वाले ताजियों में होगी तो आपने कंकड़ की ताज़िया के बारे में ज़रूर सुना होगा.

कंकड़ ताज़िया वाला इमामबाड़ा कोतवाली थाने के पूरब से सटा है. इस वक़्फ़ इमामबाड़े पर उच्च न्यायालय के एक रिटायर्ड जज साहब का कब्ज़ा है.

अगर आपकी गुज़र उस रास्ते से हो तो देखिये वहां बाकायदा एक बोर्ड लगाकर उस पर मोटे अक्षरों में लिखा है “आवास – न्यायमूर्ति… उच्च न्यायालय, इलाहाबाद”.

इसके अलावा वहां कहीं भी कंकड़ की ताज़िया को दर्शाने वाला कोई बोर्ड नही लगा है. हालाँकि अब जज साहब रिटायर हो चुके हैं लेकिन उनके अधिवक्ता पुत्र इस वक़्फ़ सम्पत्ति पर काबिज़ होने के साथ ही नियम कानून को जेब में रखते हुए इस वक़्फ़ के मोतवल्ली बने बैठे हैं.

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