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गोरखपुर: ऐसा प्रतीत हो रहा है कि हम कथित आजादी के दौर से गुजर रहे हैं और अगर गौर किया जाए तो दिखेगा कि अंग्रेजी तानाशाही और व्यवस्थाएं

वर्तमान समय में भी यथावत हैं, फर्क सिर्फ इतना है कि गैर और गोरे शासक की जगह काले और अपने शासक के रूप में लोकशाही व्यवस्था पर काबीज हो गए हैं.

उक्त बातें अध्यक्ष विकास प्राधिकरण/मंडलायुक्त गोरखपुर के कार्यालय पर तीसरी आंख मानवाधिकार संगठन द्वारा चल रहे सत्याग्रह संकल्प के

74 वें दिन संगठन के संस्थापक महासचिव शैलेन्द्र कुमार मिश्र ने कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुए कही. उन्होनें कहा कि-

“शर्म और चिंतन का विषय है कथित विकासशील प्रदेश में कुशल शासक के नेतृत्व में प्रशासकों द्वारा संवैधानिक अधिकारों व व्यवस्थाओं को कुचलने और रोकने की अंग्रेजी दास्तां को बयां कर रहे हैं.”

यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि लोकहित के मुद्दों पर चल रहे क्रमिक धरने के 74 वें दिन बाद भी शासकीय-प्रशासकीय तंत्र कुंभकरणी नींद से जाग नहीं पा रहा तथा हिंसा मुक्त आंदोलन उपेक्षा का शिकार न होता.

इसी क्रम में संगठन के जिला मंत्री रामचन्दर दूबे ने कहा कि- “तीसरी आंख मानवाधिकार संगठन के 74 वें दिन भी जनहित के मुद्दे पर व्यवस्था के

पोषकों की खामोशी समझ से परे है. बेहतर होता की व्यवस्था के पोषक अवैध को वैध की मान्यता देने की प्रक्रिया तैयार करते और अपने काले करतूतों के अपराधों से अपने-आपको मुक्त कर लेते.

फिर जनहित के लिए चल रहे क्रमिक धरने के जंजाल से स्वतः मुक्ति मिल जाती. जनहित के मुद्दे पर उदासीनता जन सामान्य को प्राप्त लोकतांत्रिक शक्तियों का उपहास उड़ाते हुए मुंह चिढ़ाना कहा जाना अतिश्योक्ति नहीं होगा.

कार्यक्रम में प्रमुख रूप से उपस्थित संगठन के संरक्षक डा. पी.एन. भट्ट, संस्थापक महासचिव शैलेन्द्र कुमार मिश्र, अधिवक्ता गिरिजेश शुक्ला,

प्रदेश आई.टी. सेल प्रभारी अमरजीत यादव, आईटी सेल सदस्य धर्मराज यादव, दुर्गेश यादव, दिनेश यादव, वरिष्ठ कार्यकर्ता जियाउद्दीन अन्सारी, वरिष्ठ वरिष्ठ अधिवक्ता राजेश इत्यादि भारी संख्या में लोग उपस्थित रहे.

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