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BYTHE FIRE TEAM

मुख्य पुजारी कंडारू राजीवारू ने मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के खिलाफ राज्यभर में हो रहे विरोध को देखते हुए यह अपील किया है कि 10-50 साल की आयु की महिलाएं मंदिर में न आएं.

आपको बताते चलें कि राजीवारू ने उन खबरों को नकार दिया, जिनमें कहा जा रहा था कि पुजारी परिवार ने 10-50 साल की महिलाओं को प्रवेश दिए जाने पर मंदिर बंद करने की योजना बनाई है.

उन्होंने कहा कि मासिक पूजा और दूसरे अनुष्ठानों को पूरा करना हमारी जिम्मेदारी है हम इस परंपरा को नहीं तोड़ेंगे.

श्रद्धा और परम्परा के बीच उपजे इस तनाव के कारण जो बवाल उठ खड़ा हुआ है उसमे कोर्ट ने मध्यस्थता करके समानता के सिद्धांत को लागु करना चाहा है किन्तु तब से विवाद और बढ़ा है.

गृह मंत्रालय ने महिलाओं के प्रवेश को लेकर हुए हिंसक प्रदर्शनों पर चिंता जताई. मंत्रालय ने कहा कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा राज्य सरकार की जिम्मेदारी है, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद हमने कानून-व्यवस्था को लेकर 15 अक्टूबर को ही राज्य सरकार को एडवायजरी जारी कर दी थी.

मंदिर के पट खुलने के दूसरे दिन भी कोई महिला श्रद्धालु भगवान अयप्पा के दर्शन नहीं कर पाई. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में गुरुवार को कई संगठनों ने बंद बुलाया था,

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सुहासिनी राज पंबा नदी तक पहुंचने वालीं पहली महिला बन गईं, लेकिन वे मंदिर तक नहीं पहुंच पाईं.

प्रदर्शनकारियों के भारी विरोध के चलते उन्हें यहीं से लौटना पड़ा, सुहासिनी न्यूयॉर्क टाइम्स की पत्रकार हैं और यहां मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर चल रहे विरोध-प्रदर्शन को कवर करने गई थी.

सुहासिनी राज की सुरक्षा में कमांडो भी शामिल थे लेकिन, मंदिर के कुछ किलोमीटर पहले ही बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों ने उन्हें आगे जाने से रोक दिया, इसके बाद उन्हें पंबा बेस कैंप ले जाया गया.

800 साल से जारी प्रथा-

सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश के फैसले के खिलाफ केरल के राजपरिवार और मंदिर के मुख्य पुजारियों समेत कई हिंदू संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की थी.

किन्तु अदालत ने सुनवाई से इनकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने 28 सितंबर को सबरीमाला मंदिर में हर उम्र की महिलाओं को प्रवेश करने की इजाजत दी. हां 10 साल की बच्चियों से लेकर 50 साल तक की महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी थी यह प्रथा 800 साल से चली आ रही थी.

सबरीमाला मंदिर पत्तनमतिट्टा जिले के पेरियार टाइगर रिजर्वक्षेत्र में है। 12वीं सदी के इस मंदिर में भगवान अय्यप्पा की पूजा होती है. मान्यता है कि अय्यपा, भगवान शिव और विष्णु के स्त्री रूप अवतार मोहिनी के पुत्र हैं. यहां दर्शन के लिए हर साल साढ़े चार से पांच करोड़ लोग आते हैं.

सबरीमाला मंदिर :

दक्षिण भारत के इस मंदिर में हर साल करोड़ों की संख्‍या में श्रद्धालुओं की भींड़ जुटती है, जिसमें केवल पुरुष ही होते हैं। आपको बता दें कि केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं का जाना वर्जित है।

जी हां, चौंक गए ना आप। आज जहां हम महिलाओं को बराबरी का अधिकार देने की बात करते हैं वहीं केरल राज्‍य के इस मंदिर में उल्‍टा ही होता है। माना जाता है कि भगवान श्री अयप्‍पा ब्रह्माचारी थे इसलिये यहां 10 से 50 वर्ष की लड़कियों और महिलाओं का आना वर्जित है। हालाँकि दस वर्ष से कम आयु की लड़कियां जो रजस्वला न हों उनको मंदिर में प्रवेश की छूट है।

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