AGAZBHARAT

इलाहांबाद: ‘दिशा छात्र संगठन’ की ओर से अविनाश ने कहा कि प्राथमिक शिक्षा की बात करें या उच्च शिक्षा की, दोनों ही आज तबाह किये जाने की कगार पर खड़े हैं.

प्राथमिक शिक्षा की स्थिति यह है कि पिछले दिनों सरकार द्वारा लोकसभा में प्रस्तुत एक आँकड़े के अनुसार देश में प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों के 9,07,583 पद खाली हैं.

शिक्षा के निजीकरण को बढ़ावा देने के लिए सरकारी तन्त्र को ध्वस्त कर दिया गया है. उच्च शिक्षा की बात करें तो देश भर के केन्द्रीय और राज्य विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के दो-तिहाई पद खाली पड़े हैं.

AGAZBHARAT

इन सरकारी विश्वविद्यालयों में पिछले लम्बे समय से ‘सेल्फ़ फ़ायनेंस कोर्सेज़’ को बढ़ावा देने के नाम पर इन्हें निजीकरण की दिशा में ढकेला जा रहा है.

मोदी सरकार द्वारा लायी गयी नयी शिक्षा नीति शिक्षा के निजीकरण-साम्‍प्रदायिकीकरण की प्रक्रिया को कई गुना बढ़ाने वाली है. यही कारण है कि देश भर के विश्वविद्यालयों में फ़ीसों में बेतहाशा वृद्धि शुरू हो चुकी है.

कर्मचारी नेता अजय भारती ने रोज़गार के मसले पर मौजूदा व्यवस्था को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि आज देश की युवा आबादी बेरोज़गारी के भयंकर संकट से जूझ रही है.

हर साल दो करोड़ नौकरियाँ देने का वादा करके सत्ता मे पहुँचने वाली मोदी सरकार के कार्यकाल में स्थिति यह है कि देश की क़रीब 32 करोड़ आबादी बेरोज़गारी का दंश झेल रही है.

सीएमआईई (सेण्‍टर फॉर मॉनीटरिंग इण्डियन इकॉनमी) के आँकड़ों के मुताबिक इस समय देश में बेरोज़गारी दर बढ़ते हुए कोविड के समय के स्तर पर पहुँच चुकी है.

यही आँकड़े बता रहे हैं कि कोविड के दौर में बेरोज़गार हुए हर पाँच में से एक नौजवान को अभी तक रोज़गार नहीं मिल सका है. बहुत-सी प्रतिष्ठित कम्पनियों ने अपने कर्मचारियों की संख्या में कटौती करते हुए उनकी छँटनी शुरू कर दी है.

AGAZBHARAT

यह छँटनी किस पैमाने पर हो रही है, इसको इसी से समझा जा सकता है कि भारत में ट्विटर ने अपने 80 फ़ीसदी कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है.

हाल ही में अमेज़ॉन ने अपने 18,000 और एचपी ने अपने 6,000 से ज़्यादा कर्मचारियों को निकालने की बात कही है. जुलाई 2022 से लेकर अब तक माइक्रोसॉफ़्ट तीन बार और नेटफ़्लिक्स दो बार छँटनी कर चुका है.

हार्डड्राइव निर्माता कम्पनी सीगेट 3,000 से ज़्यादा लोगों की छँटनी कर चुकी है. यह तो सबसे ऊँची व अमीर कम्‍पनियों की हालत है.

पूरे देश में सभी कल-कारखानों, दफ्तरों-दुकानों, वर्कशॉपों आदि में यही हाल है. पकौड़े बेचने और भीख माँगने को रोज़गार घोषित करने वाली भाजपा ने रोज़गार का मख़ौल बना दिया है.

प्रेस वार्ता का समापन करते हुए शिवानी ने कहा कि हमे अपने बुनियादी अधिकारों के लिए मौजूदा सरकार और व्‍यवस्‍था से संगठित और एकजुट संघर्ष के साथ करनी होगी.

इसी संघर्ष के लिए जनता को जगाने के लिए भगतसिंह जनअधिकार यात्रा निकाली जा रही है. हमारी मुख्य माँगें हैं–

1.) रोज़गार को मूलभूत अधिकार के तौर पर संविधान में शामिल किया जाये. भगतसिंह राष्‍ट्रीय रोज़गार गारण्‍टी योजना (बसनेगा) को संसद में पारित करो,

जिसके तहत सभी काम करने योग्‍य नागरिकों को नौकरी देना सरकार की जिम्‍मेदारी हो और ऐसा न कर पाने की सूरत में कम-से-कम रु. 10,000 बेरोज़गारी भत्‍ता दिया जाये.

2.) सभी श्रम कानूनों को सख्‍़ती से लागू किया जाये, नये प्रस्‍तावित लेबर कोड्स को रद्द किया जाये, 8 घण्‍टे के कार्यदिवस, साप्‍ताहिक अवकार, डबल रेट से ओवरटाइम,

यूनियन बनाने के अधिकार, सुरक्षा प्रावधानों के अधिकार को सुनिश्चित किया जाये, अनौपचारिक क्षेत्र के कल-कारखानों को सरकारी विनियमन में लाया जाये,

नियमित प्रकृति के कामों पर ठेका प्रथा को समाप्‍त किया जाये और श्रम कानूनों के उल्‍लंघन को आपराधिक श्रेणी में लाकर दण्‍डनीय बनाया जाये.

3.) महँगाई पर नियन्‍त्रण के लिए जमाखोरी, भविष्‍य व्‍यापार (फ्यूचर्स ट्रेड) व सट्टेबाज़ी पर रोक लगाने के लिए कानून बनाया जाये जिसके तहत ये दण्‍डनीय अपराध घोषित किये जाएँ,

बुनियादी वस्‍तुओं व सेवाओं के वितरण की व्‍यवस्‍था का राष्‍ट्रीकरण किया जाये। सार्वजनिक वितरण प्रणाली को सार्वभौमिक बनाकर सभी नागरिकों को भोजन मुहैया कराया जाये.

महँगाई को कम करने के लिए अप्रत्‍यक्ष करों को पूर्णत: समाप्‍त किया जाये और सम्‍पत्ति के आधार पर प्रगतिशील प्रत्‍यक्ष करों की व्‍यवस्‍था को मज़बूत किया जाये

4.) शिक्षा को मूलभूत अधिकार के तौर पर संविधान में शामिल किया जाये. जनविरोधी नयी शिक्षा नीति–2020 को रद्द किया जाये

5.) ‘सर्वधर्म समभाव’ के नकली सेक्‍युलरिज्‍़म के स्‍थान पर सच्‍चे सेक्‍युलर राज्‍य को सुनिश्चित करने के लिए एक कानून लाया जाये जिसके तहत किसी भी राजनीतिक नेता

द्वारा किसी भी धर्म, समुदाय अथवा आस्‍था का सार्वजनिक जीवन में किसी भी रूप में उल्‍लेख करना, उसका इस्‍तेमाल करना दण्‍डनीय अपराध हो.

इन्हीं माँगों के साथ ‘भगतसिंह जनअधिकार यात्रा’ दिल्ली, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा, बिहार, उत्तराखण्ड, आंध्र प्रदेश, पंजाब और चण्डीगढ़ में कई चरणों में निकाली जायेगी,

जिसके तहत गाँव-गाँव, नगर-नगर यात्रा टोलियाँ जनता के बीच जाएँगी. सामाजिक कार्यकर्ता असरार गाँधी, अमित, शिवा, अम्बरीश, धर्मराज, अनिल, चन्द्रप्रकाश, प्रांजल, सौम्या आदि उपस्थित रहे.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here