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मिली जानकारी के मुताबिक उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में स्थित ‘ठाकुर हुकुम सिंह किसान महाविद्यालय’ में आयोजित किए गए कार्यक्रम में महाराणा प्रताप की

मूर्ति का अनावरण करने आए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हिस्ट्रीशीटर देवेंद्र सिंह गब्बर के साथ मंच साझा करने के कारण इस समय सवालों से घिर गए हैं.

देवेंद्र सिंह की छवि एक ऐसे व्यक्ति के रूप में है जिस पर बैंक लूटने, कई हत्याओं में शामिल रहने तथा जबरन धन उगाही करने जैसे संगीन आरोप लगे हुए हैं.

सपा-बसपा कार्यकाल के दौरान इस हिस्ट्रीशीटर को उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी, अब यह समझने का विषय है कि जो भाजपा सरकार अपराधों को लेकर जीरो टॉलरेंस की बात करती रही है,

वही बदमाशों के साथ मंच साझा करके क्या संदेश देना चाहती है.? योगी आदित्यनाथ के गब्बर के साथ मंच पर दिखने के बाद समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता अब्दुल हाफिज गांधी ने कहा है कि-

“मुख्यमंत्री का अकसर बदमाशों के साथ मंच पर आना कोई नई बात नहीं है. उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था को स्थापित करने तथा महिलाओं और दलितों के विरुद्ध जिस तरीके से अत्याचार बढ़े हैं, उसको रोक पाने में योगी सरकार पूरी तरीके से विफल रही है.”

आदित्यनाथ ने कहा था कि उनकी सरकार में अपराधी या तो जेल में रहेंगे नहीं तो प्रदेश छोड़कर चले जाए. किंतु इन 4 वर्षों के व्यतीत हो जाने के बाद भी अगर वास्तव में

उनकी इस कथनी का कोई प्रभाव होता तो फिर इतनी ज्यादा तादाद में अपराध कौन कर रहा है? क्या यह भाजपा के कार्यकर्ता कर रहे हैं.

वास्तविकता तो यह है कि राज्य के मुख्यमंत्री की पृष्ठभूमि ही अपराधिक रही है जिसने स्वयं तथा अपने नेताओं के ऊपर लगे सभी गंभीर मुकदमों को वापस ले लिया है.

भाजपा की कथनी और करनी में बहुत अंतर दिखता है, वर्ष 2014, 2017, 2019 के चुनाव में अगर प्रत्याशियों का आकलन करेंगे तो इसे स्पष्ट तौर पर देखा जा सकता है.

इस विषय में एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की रिपोर्ट ने भी खुलासा किया है कि सबसे ज्यादा दागी प्रत्याशियों को भाजपा ने ही टिकट दिया है.

आज भी उत्तर प्रदेश में चुनकर आए विधायकों पर कई गंभीर आरोप दर्ज हैं. दरअसल भाजपा अपराधिक छवि के लोगों को पालने और संरक्षण देने का कार्य करती है.

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता आरपी सिंह ने भी लिखा है कि- “माफिया देवेंद्र सिंह गब्बर का बहराइच और अयोध्या में भारी निवेश है. उसने भाजपा संगठन के लोगों को

कितने पैसे दिए कि वह योगी आदित्यनाथ के मंच पर आ गया. आप खुद को संत कहते हैं योगी जी ज्ञानी चोर और डकैतों के साथ संत.”

 

 

 

 

 

 

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