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दिल्ली: आज देश में ‘विकास’ के नाम पर जिस कदर से बिना लगाम, बिना नोटिस लोगों के घरों पर बुलडोजर चलाकर जनता की जमीनों को खाली कराया जा रहा है, इसने लोगों को भीतर से भय पैदा कर दिया है.

ताजा मामला उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी में एक टनल में फंसे 41 मजदूरों के रेस्क्यू ऑपरेशन में हिस्सा लेने वाले रेट माइनर वकील हसन से जुड़ा हुआ है.

ऐसा पता चला है कि डीडीए ने दिल्ली के खजूरी खास इलाके में स्थित वकील हसन के घर पर बिना नोटिस बुलडोजर चलवा दिया. 

वकील ने यह घर 38 लाख रुपये में भगवती नाम की महिला से खरीदा था. इस संबंध में पीड़ित वकील हसन का कहना है कि इस कार्रवाई से पहले ना तो उन्हें कोई नोटिस मिला और ना ही सूचना.

डीडीए के अधिकारी और पुलिस बुलडोजर के साथ अचानक उनके घर पहुंचे और घर को तोड़ना शुरू कर दिया. 

जब इनसे पूछा गया कि आपके पास कोई नोटिस है तो इसका कोई उत्तर नहीं मिला. इसके उल्टे वकील हसन पर सरकारी काम में बाधा डालने का

आरोप लगाकर पुलिस ने उन्हें थाने में कई घंटे तक बैठाए रखा. वकील हसन ने बताया कि वह और उनके परिवार के अन्य सदस्य फुटपाथ पर बैठकर रात गुजारा तथा उनके पड़ोसियों ने उन्हें खाना दिया.

ऐसा बताया जा रहा है कि जब उनके घर पर बुलडोजर चल रहा था तो उनकी पत्नी मौजूद नहीं थी, केवल बच्चे थे जिन्होंने इन अधिकारियों से

भावुक अपील किया कि उनके पापा ने उत्तरकाशी में मजदूरों को बचाया है, आप मेरा घर मत तोड़िए. यदि इस पूरे प्रकरण को देखा जाए तो वकील हसन

का यह दावा भी प्रशासनिक कार्यवाही पर अनेक सवाल खड़े करता है. जैसे-उसे इलाके में और भी घर हैं किंतु बार-बार वकील हसन को ही टारगेट करना, डीडीए के अधिकारियों द्वारा पैसे की मांग करना,

कुछ समय पहले यहां के सांसद मनोज तिवारी तथा भाजपा प्रदेश अध्यक्ष द्वारा यह आश्वासन कि  समस्या को सुलझा लिया जाएगा और तुम्हारा मकान कहीं नहीं जाएगा इत्यादि.

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