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दिशा छात्र संगठन और नौजवान भारत सभा की ओर से शहीद-ए-आज़म भगतसिंह, राजगुरु और सुखदेव के शहादत दिवस पर गोरखपुर विश्वविद्यालय मुख्य गेट से

भगतसिंह चौराहा तक जुलूस निकालकर श्रद्धांजलि सभा की गयी. सभा के दौरान क्रान्तिकारी गीत ‘मेरा रंग दे बसन्ती चोला, आ गये यहां जवां क़दम’ गाये गये और पर्चा वितरित किया गया.

‘दिशा छात्र संगठन’ की अंजली ने कहा कि भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरू ‘हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन’ से जुड़े थे.

उन्होंने स्पष्ट कहा था कि हमारी लड़ाई केवल अंग्रेजों से नहीं है बल्कि हर तरीके के लूट व शोषण के ख़िलाफ़ है, चाहे वह अंग्रेजी सत्ता की लूट हो या देशी सत्ता की.

आज़ादी का मतलब है एक ऐसा समाज बनाना जिसमें एक इंसान के द्वारा दूसरे इंसान का व एक देश के द्वारा दूसरे देश का शोषण असम्भव हो जाए और महिलाओं को भी बराबरी व मान-सम्मान का जीवन मिले.

राष्ट्रीय आन्दोलन में भगतसिंह जैसे क्रान्तिकारियों का संगठन एचएसआरए की लड़ाई एक समाजवादी वतन बनाने की थी और उस समय जितने भी धड़े

आज़ादी के लिए संघर्ष कर रहे थे उसमें एक अलग पहचान रखती थी. आज के समय में भगतसिंह जैसे क्रान्तिकारियों की मूर्तियां तो हर जगह पहुॅंच चुकी है.

लेकिन उनके वैचारिक पक्ष को लोगों से दूर रखा गया है. भगतसिंह के शहादत के 63 साल बाद उनकी जेल नोटबुक प्रकाश में आयी जिसे अभी भी बहुत कम लोग जानते हैं.

नौजवान भारत सभा के सदस्य सुरेश ने कहा कि आज देश में धर्म–जाति के नाम पर नफरत का जहर घोला जा रहा है.

महँगाई, बेरोज़गारी,शिक्षा–चिकित्सा जैसे बुनियादी मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए सत्ता–व्यवस्था ‘‘फूट डालो और राज करो’’ की वही अंग्रेजों वाली पुरानी चालें चल रही है.

इस माहौल में दिशा और नौभास देश में जनता के बीच अमन–चैन–भाईचारा और एकता कायम करने के लिए उन बहादुर युवाओं और इंसाफ़पसन्द लोगों का आह्वान करती हैं.

क्रान्तिकारियों के सपनों को पूरा करने के लिए नौजवानों को आगे आना होगा. उनके विचारों व सपनों को जन–जन तक पहुँचाना और उन पर अमल करना ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी.

इस दौरान माया, दीपक, अदिति, प्रदीप, सुरेश, सुशीला, उदयभान, सचिन, शेषनाथ, सुरेश, आकृति, पलक, चन्दा, पुष्पांजलि आदि मौज़ूद रहे.

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