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मिली जानकारी के मुताबिक मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने बार पुनः केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में विगत 6 माह से चल रहे किसान आंदोलन के पक्ष में कहा है कि-

“प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह गलत रास्ते पर चल रहे हैं. साथ ही साथ उन्होंने चेताया भी कि आप किसानों को डराने, धमकाने तथा दबाने के प्रयास ना करें.”

वहीं किसानों के समर्थन में हरियाणा के बीजेपी-जेजेपी गठबंधन सरकार से सोमवीर सांगवान ने अपना समर्थन वापस ले लिया है.

आपको यहां बताते चलें कि दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सीमाओं पर कृषि बिल के विरोध में किसान पिछले 6 महीने से धरने पर बैठे हुए हैं किंतु अभी तक

केंद्र सरकार इन किसानों को कोई सकारात्मक जवाब नहीं दे सकी है. इस विरोध प्रदर्शन में अभी तक 300 से अधिक किसानों ने अपनी जान गवां दी है.

बावजूद इसके केंद्र सरकार ने इन किसानों के प्रति संवेदना में एक शब्द भी नहीं कहा है, इससे अधिक और असंवेदनशील तथ्य क्या हो सकता है?

अगर देखा जाए तो सरकार का यह बेरुखी रवैया न तो लोकतंत्र के लिए अच्छा माना जा सकता है और ना ही देश हित में. इसके अतिरिक्त सरकार पर किसान आंदोलन को तोड़ने तथा बदनाम करने के भी आरोप लगे हैं.

देश में इतने दीर्घकाल से शांतिपूर्ण तरीके से चल रहे किसान आंदोलन ने यह दिखा दिया है कि किसान वास्तव में बधाई के पात्र हैं और लोकतांत्रिक मूल्यों में उनकी गहरी आस्था है वरना अभी तक पता नहीं क्या हो जाता देश में?

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